क्या कांग्रेस और प्रशांत किशोर की वार्ता का फेल होना पहले से ही तय था? क्या राहुल गांधी ने पहले दिन ही इसकी भविष्यवाणी की थी? एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यही दावा किया गया है। यह रिपोर्ट तब आई है जब प्रशांत किशोर के हवाले से सूत्रों ने दावा किया था कि उन्हें नहीं लगा कि कांग्रेस और उसके नेतृत्व ने उनके सुझावों में पर्याप्त दिलचस्पी ली थी, भले ही वे योजना का समर्थन करते दिखाई दिए। अब क्या दोनों तरफ़ की ऐसी रिपोर्टों से नहीं लगता कि दोनों पक्षों को एक दूसरे पर शुरू से ही संदेह था, तो ऐसे में वार्ता कैसे सफल होती?
राहुल गांधी के क़रीबी सूत्रों के हवाले से यह ख़बर तब आई है जब लगातार प्रशांत किशोर के नज़दीकी सूत्रों के हवाले से पहले ख़बरें आ रही थीं।
एनडीटीवी ने पार्टी सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि राहुल गांधी ने पहले दिन ही भविष्यवाणी की थी कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे और कई अन्य नेताओं को भी लगा कि चुनावी रणनीतिकार अन्य दलों के साथ कांग्रेस का इस्तेमाल करना चाहते हैं।
बता दें कि कांग्रेस की योजना को लेकर बातचीत चल ही रही थी कि प्रशांत किशोर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के यहाँ पहुँच गए थे। के चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति यानी टीआरएस ने तब इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी यानी IPAC के साथ अनुबंध भी कर लिया था। यह कंसल्टेंसी फर्म चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर से जुड़ी रही है, हालाँकि पिछले साल ही उन्होंने खुद को उस फर्म से आधिकारिक तौर पर अलग कर लिया है।
रिपोर्ट में कांग्रेस सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि लगता है कि यह आठवीं बार था जब चुनावी रणनीतिकार ने कांग्रेस में शामिल होने के लिए वार्ता की थी। सूत्रों ने कहा है कि यह पीके थे जो कांग्रेस नेताओं तक पहुँचे और पार्टी को फिर से जीवित करने के रोडमैप पर अपनी प्रस्तुति देने के लिए एक बैठक की मांग की।
रिपोर्ट में कहा गया है कि राहुल गांधी के उत्साह नहीं दिखाने पर पीके ने कथित तौर पर प्रियंका गांधी वाड्रा से मिलने पर जोर दिया।
सूत्रों ने कहा, 'समिति के विभिन्न कांग्रेस नेताओं ने उनके प्रस्तावों पर गंभीरता से विचार किया, लेकिन पीके से सावधान रहे।' रिपोर्ट के अनुसार पीके के प्रस्ताव का आकलन करने वाले समूह के कई लोगों ने महसूस किया कि वह विश्वसनीय नहीं थे और उन्होंने अन्य पार्टियों के साथ काम करना जारी रखते हुए कांग्रेस के मंच का उपयोग करने की योजना बनाई। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से यह भी ख़बर दी कि पीके या तो कांग्रेस अध्यक्ष का राजनीतिक सचिव या उपाध्यक्ष बनना चाहते थे।
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रिपोर्ट के अनुसार प्रशांत किशोर को इस पर गंभीर संशय था कि पार्टी को फिर से खड़ा करने में कांग्रेस नेतृत्व की कैसी रुचि है। एनडीटीवी ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के क़रीबी सूत्रों के हवाले से लिखा है कि उन्हें नहीं लगता था कि कांग्रेस और उसके नेतृत्व ने उनके सुझावों में पर्याप्त दिलचस्पी ली थी, भले ही वे योजना का समर्थन करते दिखाई दिए।
रिपोर्ट के अनुसार प्रशांत किशोर ने इस तरह के सबसे बड़े कारणों में से एक राहुल गांधी की विदेश यात्रा का हवाला दिया था। राहुल की यह यात्रा ऐसे समय में हुई जब कांग्रेस एक महत्वपूर्ण सुधार पर निर्णय लेने की कगार पर थी। रिपोर्ट में पीके के क़रीबी सूत्रों के हवाले से लिखा गया है कि कांग्रेस के शीर्ष निर्णयकर्ताओं में से एक राहुल गांधी सक्रिय रूप से शामिल होने के बजाय 'अलग' दिखाई दिए। उन्होंने अपनी निर्धारित विदेश यात्रा पर जाने का फ़ैसला किया, जबकि वे कुछ समय के लिए इसे स्थगित कर सकते थे।
इससे पहले वार्ता नाकाम होने का सबसे बड़ा कारण जो बताया गया वह प्रशांत किशोर के कांग्रेस में भूमिका को लेकर था। रिपोर्ट है कि प्रशांत किशोर कांग्रेस में आमूल-चूल बदलाव चाहते थे और इसके लिए वह पार्टी में नीतियाँ बनाने और निर्णय लेने की खुली छूट चाहते थे।
लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस इसके पक्ष में नहीं थी और वह चाहती थी कि एक-एक कर बदलाव किए जाएँ। रिपोर्ट है कि इसी कारण से प्रशांत किशोर तैयार नहीं हुए क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि 2017 में जिस तरह के संकटपूर्ण हालात बने थे इस बार भी बने। बहरहाल, अब जो दोनों तरफ़ से सूत्रों के हवाले से ख़बर आ रही है वह दोनों तरफ़ से विश्वास में कमी की ओर इशारा करते हैं। तो क्या यही सबसे बड़ी वजह थी?
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