सर्जिकल स्ट्राइक के मुख्य रणनीतिकार लेफ्टिनेंट जनरल रिटायर्ड दीपेंद्र सिंह हुडा अब कांग्रेस के साथ आ गये हैं। दरअसल, राहुल गाँधी ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक टास्क फ़ोर्स गठित की है और उन्होंने इसकी कमान दीपेंद्र सिंह हुडा को सौंपी है। यह टास्क फ़ोर्स राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर एक विज़न पेपर तैयार करेगी। इस विज़न पेपर को कांग्रेस चुनाव से पहले जनता के सामने पेश करेगी। हुडा जल्द ही राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े जानकारों की राय लेकर विज़न पेपर तैयार करके पार्टी को सौंपेंगे।
इसके साथ ही कांग्रेस राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर मोदी सरकार की चौतरफा घेराबंदी में जुट गई है। पुलवामा में हुए आतंकी हमले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी सरकार को घेरने के बाद कांग्रेस ने राष्ट्रीय सुरक्षा को बड़ा मुद्दा बनाने की दिशा में एक अहम क़दम उठाया है।
पिछले हफ़्ते ही ‘सत्य हिन्दी’ ने बताया था कि आतंकी हमले और राष्ट्रीय सुरक्षा को कांग्रेस बड़ा मुद्दा बनाने की फिराक में है और 28 फ़रवरी को अहमदाबाद में होने वाली कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में इस बारे में विशेष प्रस्ताव पारित किया जा सकता है। राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर टास्क फ़ोर्स का गठन इसी दिशा में एक अहम क़दम है।
विज़न पेपर में कांग्रेस देश की जनता को यह बताने की कोशिश करेगी कि पिछले 5 साल में मोदी सरकार ने कब-कब राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता किया है और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर किस तरह मोदी सरकार पूरी तरह नाकाम रही है।
ग़ौरतलब है कि प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर यूपीए की सरकार, ख़ासकर तब के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के ख़िलाफ़ बेहद आक्रामक थे। 2008 में 26 नवंबर को मुंबई में हुए आतंकी हमले के फौरन बाद नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े 5 सवाल तब के प्रधानमंत्री से पूछे थे। दूसरी ओर आज पुलवामा में आतंकी हमले के बाद कांग्रेस सरकार के साथ खड़ी नज़र आ रही है। सोशल मीडिया पर नरेंद्र मोदी का पाँच सवाल पूछने वाला यह पुराना वीडियो को ख़ूब वायरल हो रहा है।
मोदी सरकार के लिए झटका?
गुरुवार को लेफ्टिनेंट जनरल रिटायर्ड दीपेंद्र सिंह हुडा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी से उनके घर जाकर मुलाक़ात की। राहुल गाँधी ने उन्हें टास्क फ़ोर्स की ज़िम्मेदारी देते हुए विज़न पेपर तैयार करने को कहा है। लोकसभा चुनाव से पहले सेना के इस रिटायर्ड अफ़सर का कांग्रेस के साथ आना कांग्रेस की जीत और मोदी सरकार की बड़ी हार के तौर पर देखा जा रहा है। दो साल पहले हुए सर्जिकल स्ट्राइक को मोदी सरकार ने अपनी एक बड़ी उपलब्धि क़रार देते हुए इसे ख़ूब भुनाया था। तभी माना जा रहा था कि सर्जिकल स्ट्राइक की वजह से सेना के अधिकारियों और जवानों में मोदी सरकार के प्रति सहानुभूति भरा रुख़ है।
- आमतौर पर सेना के अधिकारियों का झुकाव बीजेपी की तरफ़ देखा जाता है। लेकिन राहुल गाँधी ने सर्जिकल स्ट्राइक का महत्वपूर्ण हिस्सा रहे सेना के अधिकारी को अपने में ख़ेमे लाकर मोदी सरकार को तगड़ा झटका दिया है।
‘सर्जिकल स्ट्राइक को ज़रूरत से ज़्यादा प्रचार किया गया’
ग़ौरतलब है कि लेफ्टिनेंट जनरल रिटायर्ड दीपेंद्र सिंह हुडा ने क़रीब 2 महीने पहले सर्जिकल स्ट्राइक पर राजनीति करने को ग़लत ठहराया था। तब इस पूर्व सेना अधिकारी ने कहा था कि सर्जिकल स्ट्राइक की सफलता पर शुरुआती उत्साह स्वाभाविक था मगर इसका ज़रूरत से ज़्यादा प्रचार किया गया, जो कि अनुचित था।
लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुडा (सेवानिवृत्त) ने कहा था, ‘मुझे लगता है कि इस मामले (सर्जिकल स्ट्राइक) को ज़रूरत से ज़्यादा तूल दिया गया। सेना का ऑपरेशन ज़रूरी था और हमें यह करना था। अब इसका कितना राजनीतिकरण होना चाहिए, वह सही है या ग़लत, यह ऐसा सवाल है, जो राजनेताओं से पूछा जाना चाहिए।’
दरअसल, लेफ्टिनेंट जनरल हुडा (रिटायर्ड) उस वक्त सर्जिकल स्ट्राइक की लाइव वीडियो फ़ीड देख रहे थे। जिसे उरी आतंकवादी हमले के प्रतिशोध में लॉन्च किया गया था। ग़ौरतलब है कि उरी में पाकिस्तानी आतंकियों के हमले में से 19 भारतीय सैनिक मारे गए थे। आर्मी ने कहा था कि स्पेशल फ़ोर्सेस ने आतंकवादियों पर ज़ोरदार हमला कर उन्हें काफ़ी नुक़सान पहुँचाया, जो भारतीय सीमा में घुसने का इंतजार कर रहे हैं।
- सेना ने यह सर्जिकल स्ट्राइक 29 सितंबर 2016 को किया था। लेकिन इसका ख़ुलासा सरकार ने कई दिन के बाद किया था। तब केंद्र सरकार ने इस पर ख़ुद अपनी पीठ थपथपायी थी। बीजेपी की तरफ़ से कई जगहों पर तत्कालीन रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का सम्मान भी किया गया था।
लेफ्टिनेंट जनरल हुडा ने चंडीगढ़ में सैन्य साहित्य समारोह (एमएलएफ़) में कहा था कि उन्होंने ही उरी आतंकवादी हमले के दो सप्ताह से भी कम समय के भीतर आतंकियों से बदला लेने के लिए विशेष बलों की योजना (सर्जिकल स्ट्राइक) को मंज़ूरी दी थी। जनरल हुडा ने 'सीमा पार अभियानों और सर्जिकल स्ट्राइक की भूमिका' विषय पर चर्चा में बोल रहे थे। इसमें पंजाब के राज्यपाल वी.पी. सिंह बंडनोर और सेना के कई पूर्व जनरलों और कमांडरों ने भी हिस्सा लिया। कार्यक्रम में शामिल हुए दिग्गज अधिकारियों ने सैन्य अभियानों के 'राजनीतिकरण' को लेकर आगाह किया था। उसके बाद से सेना के कई और रिटायर्ड अधिकारियों ने सर्जिकल स्ट्राइक को राजनीतिक रंग दिए जाने का खुलकर विरोध किया है।
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