कपिल सिब्बल के घर पर हुड़दंग करने की आलोचना करने वालों में अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम भी शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा है कि सिब्बल के घर के बाहर लोगों को नारे लगाते हुए देखकर उन्हें पीड़ा हुई। उन्होंने कहा है कि उन्होंने ख़ुद को असहाय महसूस किया।
इस मामले में चिदंबरम उन लोगों के साथ खड़े दिखाई दिए जो पार्टी में सुधारों की मांग करते रहे हैं और जिन्हें असंतुष्ट और अनौपचारिक तौर पर जी-23 कहा जाता रहा है। चिदंबरम ने ट्वीट किया, 'जब हम पार्टी मंचों के भीतर सार्थक बातचीत शुरू नहीं कर सकते तो मैं असहाय महसूस करता हूँ। जब मैं अपने एक सहयोगी और सांसद के आवास के बाहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं द्वारा नारे लगाते हुए तसवीरें देखता हूँ तो मैं भी आहत और असहाय महसूस करता हूँ। लगता है कि किसी के लिए सबसे सुरक्षित जगह जो हो सकती है वह मौन है।'
I feel helpless when we cannot start meaningful conversations within party forums.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) September 30, 2021
I also feel hurt and helpless when I see pictures of Congress workers raising slogans outside the residence of a colleague and MP.
The safe harbour to which one can withdraw seems to be silence.
सिब्बल के समर्थन में चिदंबरम के अलावा, शशि थरूर, मनीष तिवारी, आनंद शर्मा जैसे कई वरिष्ठ नेता आ चुके हैं। सिब्बल के घर के बाहर नारेबाज़ी और हुड़दंग को तो कुछ नेताओं ने उनके घर पर हमला क़रार दिया है।
सिब्बल के घर पर बुधवार रात को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने ही तब प्रदर्शन और हुड़दंग किया था जब उन्होंने कुछ घंटे पहले ही कांग्रेस नेतृत्व यानी गांधी परिवार की आलोचना की थी। पार्टी के युवा कार्यकर्ताओं ने सिब्बल के घर के बाहर हाथों में 'गेट वेल सून कपिल सिब्बल' की तख्तियाँ लिए प्रदर्शन किया था। उन्होंने उनके घर पर टमाटर फेंके थे। इस दौरान सिब्बल की कार क्षतिग्रस्त हो गई थी। पार्टी कार्यकर्ताओं ने 'पार्टी छोड़ो', 'होश में आओ' और 'राहुल गांधी ज़िंदाबाद' के नारे लगाए थे।
इस घटना को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने हमला क़रार दिया और ट्वीट किया, 'कपिल सिब्बल के घर पर हमले और गुंडागर्दी की ख़बर सुनकर स्तब्ध और निराश हूँ। यह निंदनीय कार्रवाई पार्टी को बदनाम करती है और इसकी कड़ी निंदा की जानी चाहिए।'
उन्होंने एक के बाद एक तीन ट्वीट किये। एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, 'कांग्रेस का अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कायम रखने का इतिहास रहा है। विचारों और मतों की विविधता लोकतंत्र का अभिन्न अंग है। असहिष्णुता और हिंसा कांग्रेस के मूल्यों और संस्कृति से अलग है।' उन्होंने एक अन्य ट्वीट में लिखा, 'ज़िम्मेदार लोगों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें अनुशासित किया जाना चाहिए। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी से संज्ञान लेने और कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह करता हूँ।'
शशि थरूर ने ट्वीट किया, "यह शर्मनाक है। हम कपिल सिब्बल को पक्के कांग्रेसी के रूप में जानते हैं जिन्होंने कांग्रेस की ओर से अदालत में कई मुक़दमे लड़े हैं। एक लोकतांत्रिक पार्टी के रूप में हमें यह सुनने की जरूरत है कि वह क्या कहते हैं, यदि आपको लगता है तो ज़रूर असहमत हों, लेकिन इस तरह से नहीं। हमारी प्राथमिकता बीजेपी से मुक़ाबला करने के लिए खुद को मज़बूत करना है!'
That is shameful. We all know @KapilSibal as a true Congressman who has fought multiple cases in court for @INCIndia. As a democratic party we need to listen to what he has to say,disagree if you must but not in this way. Our priority is to strengthen ourselves to take on theBJP! https://t.co/XmtdHapach
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) September 30, 2021
उन्होंने मनीष तिवारी के उस ट्वीट को रिट्वीट करते हुए यह ट्वीट किया जिसमें उन्होंने कहा था, 'उस कपिल सिब्बल की गाड़ी लोगों ने तोड़ दी, उसकी छत पर खड़े हो गए, जिससे वह धँस गई। घर के अंदर और बाहर टमाटर फेंके गए। यह गुंडागर्दी नहीं तो क्या है?'
जी-23 नेताओं में गिने जाने वाले सिब्बल ने पार्टी नेतृत्व पर तंज कसते हुए कहा था कि 'हमारी पार्टी में कोई अध्यक्ष नहीं है तो हम नहीं जानते हैं कि फ़ैसले कौन ले रहा है। हम जानते हैं और तो भी हम नहीं जानते हैं।' इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि वे 'जी हुजूर-23' नहीं हैं।
कपिल सिब्बल उन नेताओं में से एक हैं जिन्होंने पिछले साल कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को ख़त लिखा था और पार्टी में आमूलचूल बदलाव लाने की मांग की थी। सबसे प्रमुख मांगों में से एक थी नेतृत्व परिवर्तन की मांग। यह कहकर नेतृत्व बदलने की मांग की गई थी कि पार्टी की बागडोर ऐसे हाथों में सौंपी जाए जो पूरे समय पार्टी के लिए सक्रिय रह कर काम करे।
सिब्बल ने कहा था, 'मैं उन कांग्रेसियों की ओर से आपसे (मीडिया) बात कर रहा हूँ जिन्होंने पिछले साल अगस्त में ख़त लिखा था और जो अध्यक्ष से लेकर सीडब्ल्यूसी और केंद्रीय चुनाव समिति में चुनाव के संबंध में हमारे नेतृत्व द्वारा की जाने वाली कार्रवाई की प्रतीक्षा कर रहे हैं।'
हालाँकि उन्होंने यह भी कहा था, 'हम वे नहीं हैं जो पार्टी छोड़कर कहीं और जाएँगे। यह विडंबना है। जो उनके (पार्टी नेतृत्व) क़रीब थे, वे चले गए हैं और जिन्हें वे अपने क़रीब नहीं मानते हैं, वे अभी भी उनके साथ खड़े हैं।'
सिब्बल का इशारा जितिन प्रसाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे नेताओं की तरफ़ था। इन दोनों नेताओं के अलावा पिछले कुछ सालों में एसएम कृष्णा, सोनिया गांधी के क़रीबी रहे टॉम वडक्कन, रीता बहुगुणा जोशी, जगदंबिका पाल, अशोक तंवर, सुष्मिता देव सहित कई नेता पार्टी को छोड़ चुके हैं।
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