नवजोतसिंह सिद्धू का मामला अभी अधर में ही लटका हुआ है और इधर कल-कल में कुछ ऐसी घटनाएँ और भी हो गई हैं, जो कांग्रेस पार्टी की मुसीबतों को तूल दे रही हैं। पहली बात तो यह कि पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह दिल्ली जाकर गृहमंत्री अमित शाह से मिले। क्यों मिले? बताया गया कि किसान आंदोलन के बारे में उन्होंने बात की। की होगी लेकिन किस हैसियत में की होगी? अब वे न मुख्यमंत्री हैं, न कांग्रेस अध्यक्ष! तो बात यह हुई होगी कि अमरिंदर का अगला क़दम क्या होगा? वह भाजपा में प्रवेश करेंगे या अपनी नई पार्टी बनाएंगे या घर बैठे कांग्रेस की जड़ खोदेंगे?
भारत जी-हुजूरों का लोकतंत्र?
- विचार
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- 1 Oct, 2021

इस वक़्त बीजेपी और कांग्रेस का अंदरुनी हाल एक-जैसा होता जा रहा है लेकिन आम जनता में अब भी बीजेपी की साख कायम है। यानी अंदरुनी लोकतंत्र सभी पार्टियों में शून्य को छू रहा है लेकिन यही प्रवृत्ति बाहरी लोकतंत्र पर भी हावी हो गई तो हमारी पार्टियों की इस नेताशाही को तानाशाही में बदलते देर नहीं लगेगी।
उधर गोवा के शीर्ष कांग्रेसी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ल्युजिनो फलीरो ने कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। गोवा में कांग्रेस की दाल पहले से ही काफी पतली हो रही है और अब नौ अन्य कांग्रेसी नेताओं के साथ फलीरो का तृणमूल में जाना गोवा की कांग्रेस के चार विधायकों की संख्या को घटाकर आधी न कर दे?