तीन तलाक़ विधेयक लोकसभा में पास हो गया है। राज्यसभा में पास होगा या नहीं, इस पर संशय बना हुआ है। विधेयक क़ानून का रूप ले पाएगा या नहीं, यह इस पर निर्भर करेगा कि राज्यसभा में इस विधेयक का क्या होता है। लेकिन देश का मुसलमान इस विधेयक को मजहबी मामलों में सरकार की ग़ैरज़रूरी दख़लअंदाज़ी मानता है। यही वजह है कि तीन तलाक़ का विरोध करने वाले तमाम संगठन और सामाजिक कार्यकर्ता भी इस विधेयक का समर्थन नहीं कर रहे हैं। सबका मानना है कि अगर यह विधेयक इसी रूप में लागू होता है तो इससे मुस्लिम समाज पर बुरा असर पड़ेगा। इससे कहीं ना कहीं संवैधानिक रूप से मिली उनकी धार्मिक आज़ादी कमज़ोर होगी।