जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में शुमार रहे शर्मा ने कहा है, ‘ऐसा लग रहा है, मध्य प्रदेश के नेताओं के साथ-साथ केन्द्रीय नेतृत्व ने हमें मृत मान लिया है।’ पितृपुरूष कहलाने वाले कुशाभाऊ ठाकरे के कंधे से कंधा मिलाकर मध्य प्रदेश एवं देश के अन्य राज्यों में जनसंघ, जनता पार्टी और फिर भाजपा को स्थापित करने में अहम भूमिका निभाने वाले रघुनंदन शर्मा इन दिनों काफी विचलित नजर आ रहे हैं।
पार्टी में भगदड़, वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी सहित तमाम मौजूदा हालातों को लेकर...‘सत्य हिन्दी’ ने उनसे बातचीत की। खरी-खरी और साफ़गोई के लिए ख्यात, रघुनंदन शर्मा ने हर सवाल का बेबाक़ी से जवाब दिया।
सत्य हिंदी - मध्य प्रदेश भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा में किसी भी वरिष्ठ नेता को नहीं बुलाया गया, आप को इस यात्रा की सूचना है?
रघुनंदन शर्मा - मुझे, गृहक्षेत्र नीमच से एक कार्यकर्ता का फोन आया था। यात्रा वहां आरंभ हुई तो उसने मुझसे पूछा, महत्वपूर्ण यात्रा में आप नहीं आये। दरअसल, मुझे पार्टी से यात्रा का न्यौता ही नहीं आया। अखबारों में पढ़ता रहा हूं, जन आशीर्वाद यात्रा निकल रही है। बहुत बड़े-बड़े नेता पहुंच रहे हैं। न बुलाने का मुझे रंज या गम नहीं, लेकिन अनदेखी से कार्यकर्ता दुःखी है।
सत्य हिन्दी - उमा भारती ने मीडिया के समक्ष पीड़ा व्यक्त की थी, कहा है हम न आते, लेकिन न्यौता तो देते! आपका मर्म भी कुछ वही है?
“
उमा भारत के दर्द, और मेरे मर्म में थोड़ा सा अंतर है। वे स्वयं मीडिया के समक्ष चली जाती हैं, दर्द बयां कर देती हैं। मैं कहीं नहीं जाता। मर्म जानने के लिए मीडिया मेरे पास आता है, सच बयां कर देता हूं।
-रघुनंदन शर्मा, पूर्व भाजपा सांसद, मध्य प्रदेश 7 सितंबर 2023 सोर्सः सत्य हिन्दी को इंटरव्यू
सत्य हिन्दी - तपे और मंझे हुए नेताओं की बेकद्री की वजह, आखिर क्या है?
रघुनंदन शर्मा - मन में पीड़ा तो होती है। हम जिन्दा हैं, मरे नहीं हैं। मेरे जैसे अनेक वरिष्ठतम लोग भी जीवित हैं। मुझे लगता है या तो भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान नेतृत्व ने और कर्ताधर्ताओं ने लिस्ट बना ली है, ‘ये सब मर गये, और शायद उन्हीं में से हम हैं। लेकिन मरे हुए भी हम, भारतीय जनता पार्टी के लिए शुभकामना व्यक्त करते हैं। जो भी लोग वर्तमान में हैं, परिश्रम कर रहे हैं, फिर से सरकार बनायें। ईश्वर से भी प्रार्थना करता हूं, भारतीय जनता पार्टी बहुमत प्राप्त करे। सफलता प्राप्त करे।’
सत्य हिन्दी - विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बीजेपी में भगदड़ क्यों मची है?
रघुनंदन शर्मा - भगदड़ के हालातों से विस्मित हूं। चिंतित हूं। दरअसल नेता एवं कार्यकर्ता, पार्टी के रणनीतिकारों से स्नेह एवं सम्मान न मिलने से दुःखी हैं। प्रदेश के प्रत्येक कोने से वे भोपाल आते हैं, लेकिन पार्टी के लिए अपना तन, मन और धन न्योछावर करने वाले को सुनने का वक्त नेता नहीं निकाल पा रहे हैं।
सत्य हिन्दी - आपके द्वारा गढ़े और खड़े किए गए जाने-पहचाने चेहरे भाजपा छोड़ रहे हैं?
“
मुझे बहुत पीड़ा होती है। पार्टी को मजबूती प्रदान करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण कड़ी, संवाद और संपर्क है। आज की भाजपा में यह समाप्त हो गया है। संवादहीनता की स्थिति है, इसीलिये नुकसान हो रहा है। असंतुष्ट जाते हैं, हमें रोकने का प्रयास करना चाहिए। कई पूर्व विधायकों ने पार्टी से त्यागपत्र दिया तो मैंने उन्हें फोन किया। हरेक ने कहा, ‘आप पहले व्यक्ति हैं, जो संपर्क कर रहे हैं। काश, पार्टी के रणनीतिकार-कर्ताधर्ता फोन करते तो संतोष होता।’
-रघुनंदन शर्मा, पूर्व भाजपा सांसद, मध्य प्रदेश 7 सितंबर 2023 सोर्सः सत्य हिन्दी को इंटरव्यू
सत्य हिन्दी - संवादहीनता के हालात क्यों हैं?
रघुनंदन शर्मा - समझ में नहीं आता है, आखिर ऐसा क्यों है! पार्टी के कुछ लोग जो पूर्णकालिक कार्यकर्ता बनकर यहां आये हैं, उनका तो यही काम होना चाहिए था कि नाराज कार्यकर्ताओं से मिले-जुले एवं समझायें। आत्मीयता प्रदान करें। सम्मान दें। कार्यकर्ता इससे ज्यादा कुछ नहीं चाहता है।
सत्य हिन्दी - इन दिनों मध्य प्रदेश बीजेपी में दिल्ली के अनेक बड़े नेताओं की तैनाती है, क्या वे चिंतित नहीं हैं?
रघुनंदन शर्मा - पार्टी छोड़कर जा रहे कार्यकर्ता उसी तरह की पीड़ा देकर जा रहे हैं, जैसा महाभारत के कार्यकाल में द्रोपदी के चीरहरण प्रसंग से दर्द-मर्म पैदा हुआ था। भरे दरबार में द्रोपदी के शीलभंग के समय पांचों पांडव, भीष्म पितामह और गुरू द्रोणाचार्य सिर झुकाये बैठे रहे थे। मध्य प्रदेश बीजेपी में कुछ वैसा ही हो रहा है। पार्टी के आज सात-सात प्रभारी हैं। कार्यकर्ता पार्टी छोड़कर जा रहा है, और ये सिर झुकाये, आखिर क्यों बैठे हुए हैं? समझ नहीं आ रहा है। आशीर्वाद यात्राएं होती रहेंगी, पहले तो पार्टी के इन देव-दुलर्भ कार्यकर्ताओं को रोकने के प्रयास होने चाहिए।
सत्य हिन्दी - और क्या होना चाहिए?
रघुनंदन शर्मा - पार्टी को संभालने के काम में जुटने की आवश्यकता है। भारतीय जनता पार्टी के प्रति मध्य प्रदेश की जनता में अघाड़ श्रद्धा है। निष्ठा है। वर्ष 2018 का विधानसभा और फिर 2019 का लोकसभा चुनाव, इस तथ्य (बीजेपी से जनता स्नेह करती है) का ठोस उदाहरण हैं। विधानसभा 2018 में 109 सीट मिली, लेकिन लोकसभा में 230 विधानसभा सीटों में भाजपा 203 सीटें जीत जाती है। केवल 27 सीटों को ही अन्य दल जीत पाये। कुल 29 लोकसभा में से 28 पर विजयश्री हासिल की। आज जरूरत है, किसी से लगाव और किसी से दूराव वाला भाव छोड़कर, पार्टी हित को सर्वोपरि रख नेतृत्व को आगे बढ़ना चाहिए। निर्णय लेना चाहिए।
सत्य हिन्दी - अभिप्राय को और स्पष्ट कीजिए?
रघुनंदन शर्मा - जिस प्रकार के बदलावों की जरूरत है, करना चाहिए। हृदय के कपाट को खोलकर फैसले लेना चाहिए। व्यक्ति से लगाव, संगठन को ले डूबता है। इतिहास के आईने में झांकना चाहिए। अभी तीन महीने का सुनहरा वक्त है। भारतीय जनता पार्टी के प्रति जो स्नेह है, उसे बनाये रखने के लिए सारे उपक्रम करना चाहिए। कुशाभाऊ ठाकरे/प्यारेलाल खंडेलवाल की तरह संगठन को आगे बढ़ाने की दिशा में बढ़ना चाहिए। देव-दुर्लभ कार्यकर्ताओं की सुध लेंगे तो बात बन जायेगी। पार्टी के पक्ष में और बेहतर परिणाम आ जायेंगे।
सत्य हिन्दी - पार्टी के नेता-कार्यकर्ता बड़ी उम्मीद लेकर भोपाल आते हैं, आपसे जरूर मिलते हैं, फीडबैक क्या है?
रघुनंदन शर्मा - कार्यकर्ताओं की निराशा दूर करने की जरूरत है। कार्यकर्ता भोपाल आता है तो पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष और संगठन महामंत्री एवं सरकार के मुखिया से मिलना चाहता है। सरकार एक ही व्यक्ति के इर्द-गिर्द है तो उनसे मिलना चाहते हैं। दुर्भाग्य यह है कि कई-कई दिन डेरा डालने, पैसा खर्च करने के बाद भी मुलाकातें नहीं हो पाती। संगठन और सरकार के मुखिया समय नहीं निकाल पाते। कार्यकर्ता इससे बेहद हताश-निराश होकर वापस लौटने को मजबूर होता है।
सत्य हिन्दी - आखिरी सवाल, शिवराज सिंह को आपने गढ़ा, वीडी तो बहुत जूनियर हैं, तीनों (संगठन महामंत्री भी) से आपका संवाद नहीं होता? आप तो इनके कान खींचने की क्षमता रखते हैं!
रघुनंदन शर्मा - मैं किसी से नहीं मिल पाता। ये स्वयं होकर संवाद का प्रयास नहीं करते। इनके मन में एक अदद फोन करने की मंशा भी नहीं है तो मैं क्या कर सकता हूं! नरेंद्र सिंह तोमर नाम के एक केन्द्रीय मंत्री हैं। उनका एक दिन फोन आया, भाई साहब मिलने आता हूं। फोन के बाद एक महीने से उन्हें मुलाक़ात की फुरसत नहीं मिली। तोमर को फुरसत नहीं है तो बेचारे मुख्यमंत्री, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और संगठन महामंत्री को कैसे वक्त मिलेगा! ये तीनों तो तोमर से कहीं ज्यादा व्यस्त हैं। जब नेताओं को हमारे लिए समय नहीं है तो आम कार्यकर्ता के लिए कैसे वक्त निकाल पायेंगे। दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, कार्यकर्ता के लिए समय निकालना चाहिए। समय नहीं देने से पार्टी का बड़ा नुकसान होगा।
अपनी राय बतायें