मोदी कैबिनेट के विस्तार के दौरान कई मंत्रियों को नई जिम्मेदारी मिली तो कई की कैबिनेट से छुट्टी हो गई। जिन नेताओं की छुट्टी हुई है, उन्हें संगठन में पद दिए जाने की बात चल रही है। इसके अलावा पार्टी में सबसे ताक़तवर माने जाने वाले संसदीय बोर्ड में भी पांच पद खाली हैं। इन पदों पर किन नेताओं का चयन होगा, ये देखना काफ़ी अहम होगा क्योंकि बीजेपी संसदीय बोर्ड का सदस्य होना पार्टी में आपके सियासी क़द को बताता है।
माना जा रहा है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा आने वाले दिनों में संगठन और संसदीय बोर्ड में खाली पदों पर नियुक्तियां करेंगे और उन्होंने तेज़ी से क़दम उठाते हुए तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष पद पर निुयक्ति भी कर दी है।
संसदीय बोर्ड में जो पांच पद खाली हुए हैं, उनमें से तीन पद अरूण जेटली, सुषमा स्वराज और अनंत कुमार के निधन से हुए हैं जबकि एक पद एम. वेंकैया नायडू के उप राष्ट्रपति पद पर चुने जाने और एक और अन्य पद थावर चंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल बनाए जाने से खाली हुआ है।
हर्षवर्धन दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष रहे हैं और दिल्ली में ही राजनीति करते रहे हैं, ऐसे में उन्हें दिल्ली और आसपास के राज्यों में संगठन का काम पार्टी दे सकती है जबकि प्रकाश जावड़ेकर पार्टी प्रवक्ता के तौर पर काम कर चुके हैं और रमेश पोखरियाल निशंक पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद पर रहे हैं।
2022 से तय होगी दिशा
2022 का साल चुनावी राजनीति के लिहाज से बेहद अहम है क्योंकि इसमें सात राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं। इनमें से पांच राज्यों में तो 7 महीने बाद ही विधानसभा के चुनाव हैं और इन राज्यों में देश की राजनीति की दिशा तय करने वाला उत्तर प्रदेश भी है। इसके अलावा उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर, पंजाब, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी विधानसभा के चुनाव होने हैं।
जम्मू और कश्मीर में भी अगले साल विधानसभा चुनाव होने के आसार हैं। ऐसे में 2022 में इन राज्यों के नतीजे 2024 के आम चुनाव में बीजेपी को कौन चुनौती देगा, यह भी काफ़ी हद तक साफ हो जाएगा।
चुनावी राजनीति में साल 2022 की अहमियत को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि बीजेपी अपने संगठन और संसदीय बोर्ड में ऐसे नेताओं को बड़ी जिम्मेदारियां देगी जो उसे बेहतर चुनावी नतीजे दे सकें।
एक व्यक्ति, एक पद का सिद्धांत
जहां तक संगठन में खाली पदों की बात है, बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव भूपेंद्र यादव को श्रम मंत्री बना दिया गया है। साथ ही वह दो राज्यों बिहार और गुजरात के प्रभारी भी हैं। गुजरात में अगले साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं जबकि बिहार भी राजनीतिक लिहाज से बेहद अहम राज्य है।
राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद पर काम कर रहीं अन्नापूर्णा देवी को भी मंत्रिपरिषद में शामिल कर लिया गया है। इसके अलावा विश्वेश्वर टुडू राष्ट्रीय महासचिव, राजीव चंद्रशेखर राष्ट्रीय प्रवक्ता और एल. मुरूगन तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष का दायित्व निभा रहे थे। विश्वेश्वर टुडू और राजीव चंद्रशेखर के पद भी पार्टी को भरने होंगे क्योंकि दोनों को ही मोदी के मंत्रिमंडल में जगह दी गई है जबकि तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष पद पर पूर्व आईपीएस अफ़सर अन्नामलाई की नियुक्ति की गई है।
चूंकि पार्टी में एक व्यक्ति, एक पद का सिद्धांत खाली है, इसलिए इन नेताओं को संगठन के पदों से इस्तीफ़ा देना होगा और संगठन के मुखिया को इन पदों पर नियुक्ति करनी होगी।
अपनी राय बतायें