महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की मां आशा पवार ने बुधवार को पंढरपुर का दौरा किया और वहां के मंदिर में अजित और उनके चाचा और एनसीपी (सपा) प्रमुख शरद पवार के पुनर्मिलन के लिए प्रार्थना की। महाराष्ट्र में यह परंपरा है कि नए साल पर लोग मंदिर में जाकर कोई न कोई विशेष प्रार्थना करते हैं। हालांकि आशा पवार की प्रार्थना दोनों परिवारों के पुनर्मिलन के लिए थी लेकिन उसके राजनीतिक मतलब निकाले जा रहे हैं।
महाराष्ट्र चुनाव नतीजों के आने के एक महीने से भी कम समय में "पुनर्मिलन" की इच्छा रखने वाली आशा अकेली नहीं हैं। और भी लोग इसके लिए प्रयासरत हैं। पहल अजित पवार की तरफ से ज्यादा है। हालांकि शरद पवार की छत्रछाया में राजनीतिक रूप से पला-बढ़ा उनका भतीजा लंबे समय तक उनके नक्शे कदम पर चलता रहा लेकिन महत्वाकांक्षी होने की वजह से एक दिन विद्रोह कर दिया। लेकिन अब आशा पवार की प्रार्थना कितनी सुनी जाएगी, यह समय बतायेगा, क्योंकि ऐसा होने पर महाराष्ट्र में राजनीतिक समीकरण फिर बदल जाएंगे।
ताजा ख़बरें
पढंरपुर में विट्ठल-रुक्मिणी मंदिर में दर्शन करने के बाद आशा पवार जैसे ही बाहर निकली, रिपोर्टरों का कैमरा तैयार था। आशा ने कहा- "सभी विवाद खत्म होने चाहिए...शरद पवार और अजित पवार को फिर से एक होना चाहिए।" उन्होंने कहा कि उन्होंने "अजित पवार की सभी इच्छाएं" पूरी होने के लिए भी प्रार्थना की है। अजित पवार गुट के एक और नेता प्रफुल्ल पटेल भी फौरन सामने आये और एकता की गुहार लगाई। प्रफुल्ल पटेल ने कहा- शरद पवार हमारे देवता हैं। हमारे मन में उनके प्रति उच्चस्तरीय सम्मान है। अगर पवार परिवार एक साथ आता है तो इससे हमें बेहद खुशी होगी। मैं खुद को पवार परिवार का सदस्य मानता हूं।
एनसीपी विधायक नरहरि ज़िरवाल ने भी यही बात दोहराई। जिरवाल ने कहा, "शरद पवार साहब को छोड़ना (जून 2023 में विभाजन के बाद) अजीब लगा। तमाम लोग ऐसा ही महसूस करते हैं। अब मैं उनके पास जाऊंगा और उनसे (और अजित से) साथ आने का आग्रह करूंगा। पवार साहब समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों के लिए लगातार काम कर रहे हैं।”
एनसीपी प्रवक्ता अमोल मितकारी ने कहा कि चाचा-भतीजे की जोड़ी एक साथ आ सकती है, अगर दोनों कोशिश करें। लेकिन कुछ नेता जैसे कि जितेंद्र अव्हाड (शरद पवार के प्रमुख सहयोगी) और रोहित पवार (शरद पवार के पोते) इसमें "बाधा" डाल सकते हैं। मितकारी ने कहा, "उन्हें कभी पसंद नहीं आएगा कि दोनों एक साथ आएं... लेकिन आशा ताई की प्रार्थनाएं दोनों एनसीपी समूहों के प्रत्येक कार्यकर्ता की प्रार्थना हैं... हम सभी को लगता है कि हमें एकसाथ आना चाहिए।"
राजनीति से और खबरें
नवंबर में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में, शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (सपा) छह प्रमुख पार्टियों में से अंतिम स्थान पर रही और उसने जिन 86 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से केवल 10 पर जीत हासिल की। दोनों एनसीपी ने 36 निर्वाचन क्षेत्रों में एक-दूसरे के खिलाफ प्रतिस्पर्धा की, जिसमें एनसीपी अजित पवार ने 29 सीटें जीतीं, जिसमें बारामती का पवार खानदान का क्षेत्र भी शामिल है।
अपनी राय बतायें