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शिवसेना में बगावत: पर्दे के पीछे सक्रिय हैं बीजेपी के 4 बड़े चेहरे

शिवसेना में हुई बड़ी बगावत के पीछे टीवी चैनलों, अखबारों में एकनाथ शिंदे अहम किरदार के रूप में दिखाई दिए हैं। लेकिन बीजेपी के 4 बड़े नेता शिवसेना के विधायकों को गुजरात के सूरत से लेकर असम के गुवाहाटी तक ठहराने, जरूरी चीजों का इंतजाम करने और लगातार उनके संपर्क में बने हुए हैं। 

इनके अलावा महाराष्ट्र से भी बीजेपी के कुछ नेताओं को शिवसेना के बागी विधायकों के संपर्क में बने रहने के लिए गुवाहाटी भेजा गया है और यह नेता वहां से महाराष्ट्र बीजेपी को पल-पल की अपडेट दे रहे हैं।

सीआर पाटिल

इंडिया टुडे के मुताबिक, शिवसेना के विधायकों के सूरत पहुंचने पर गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष सीआर पाटिल ने मेजबान की तरह उनका स्वागत किया और इस वजह से पहले से तय अपने सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया। पाटिल आनन-फानन में अहमदाबाद से सूरत पहुंचे और इस दौरान सूरत के ली मेरिडियन होटल के बाहर गुजरात पुलिस की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई जिससे शिवसेना का कोई भी नेता इनसे ना मिल सके। 

Maharashtra political crisis BJP eknath shinde  - Satya Hindi
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सीआर पाटिल।

बताना होगा कि सीआर पाटिल मूल रूप से महाराष्ट्र के जलगांव के रहने वाले हैं लेकिन बाद में वह गुजरात आ गए थे। 

इंडिया टुडे के मुताबिक, शिंदे और शिवसेना के अन्य बागी विधायकों को सूरत के पांच सितारा होटल में ठहराने का यह विचार सीआर पाटिल का ही था। सूरत पाटिल का गृह नगर भी है। 

Maharashtra political crisis BJP eknath shinde  - Satya Hindi

यह भी कहा जा रहा है कि पाटिल ने होटल में एकनाथ शिंदे से मुलाकात की थी और वह शिंदे के सूरत में रहने तक लगातार उनसे संपर्क करते रहे। 

मोदी-शाह के करीबी हैं पाटिल

पाटिल गुजरात की नवसारी लोकसभा सीट से सांसद भी हैं और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बेहद नजदीकी माना जाता है। पार्टी उन्हें उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य राज्यों में भी तमाम अहम कामों की जिम्मेदारी देती रही है। 

Maharashtra political crisis BJP eknath shinde  - Satya Hindi

हिमंता बिस्वा सरमा

सूरत से निकलकर शिवसेना के विधायक जब गुवाहाटी पहुंचे तो वहां भूमिका शुरू हुई असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा की। मुख्यमंत्री सरमा खुद गुवाहाटी के रेडिसन ब्लू होटल में पहुंचे जहां पर शिवसेना के बागी विधायक रुके हुए हैं। इससे पहले गुवाहाटी एयरपोर्ट पर बीजेपी के विधायक सुशांत बोरगोहेन ने शिवसेना के बागी विधायकों का स्वागत किया। सुशांत को मुख्यमंत्री सरमा का करीबी माना जाता है।

सरमा पूर्वोत्तर में बीजेपी के सबसे अहम चेहरे हैं और बीजेपी ने सर्बानंद सोनोवाल की जगह सरमा को मुख्यमंत्री बनाया जबकि वह कुछ साल पहले ही कांग्रेस से बीजेपी में आए हैं।

शिवसेना के बागी विधायकों के गुवाहाटी में रहने तक सरमा सहित राज्य सरकार के कई मंत्री, बीजेपी विधायक होटल में पहुंचकर बागियों से मुलाकात कर चुके हैं।

भूपेंद्र यादव और सीटी रवि 

इंडिया टुडे के मुताबिक, बीजेपी के सूत्रों ने कहा है कि एकनाथ शिंदे और बागी विधायकों से बातचीत करने की जिम्मेदारी बीजेपी के दो वरिष्ठ नेताओं केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि को दी गई है। भूपेंद्र यादव इससे पहले बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव थे और पार्टी संगठन के तमाम अहम कामों में अहम रोल निभाते रहे हैं। यादव के पास राजनीतिक मसलों को सुलझाने और चुनाव में काम करने का अच्छा-खासा अनुभव है।

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जबकि सीटी रवि महाराष्ट्र, गोवा और तमिलनाडु में बीजेपी के प्रभारी हैं। पार्टी नेतृत्व ने रवि को बहुत सोच-समझकर ही महाराष्ट्र का प्रभारी बनाया था। गोवा के विधानसभा चुनाव में भी रवि ने पार्टी की वापसी में अहम भूमिका निभाई और महाराष्ट्र के सियासी संकट में भी वह लगातार शिवसेना के बागी विधायकों पर नजर रखने के साथ ही महाराष्ट्र बीजेपी के नेताओं के भी लगातार संपर्क में हैं।
एकनाथ शिंदे के द्वारा शिवसेना से बगावत करने के बाद ही बीजेपी का नाम इसमें सामने आ रहा था। लेकिन जिस तरह बीजेपी के नेताओं ने शिवसेना के बागी विधायकों की सूरत और गुवाहाटी में आवभगत की है उससे साफ हो जाता है कि इसमें बीजेपी का हाथ ना होने की बात कहना गलत है।

मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ हुई बातचीत में भी एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ सरकार बनाने की मांग रख चुके हैं। 

बीजेपी-शिवसेना की लड़ाई

लंबे वक्त तक साथ मिलकर हिंदुत्व की राजनीति करने वाले और महाराष्ट्र और केंद्र सरकार में सहयोगी रहे बीजेपी और शिवसेना बीते ढाई वर्षों से एक-दूसरे के आमने-सामने हैं। एकनाथ शिंदे की बगावत और इसके पीछे बीजेपी नेताओं की भूमिका की बात सामने आने के बाद निश्चित रूप से बीजेपी और शिवसेना की लड़ाई और बड़ी होती जाएगी। 

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क़मर वहीद नक़वी
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