भारतीय जनता पार्टी की ओर से हाल-फिलहाल में दिए गए बयान लोगों को भ्रमित करनेवाले हैं। एक तरफ चंद्रकांत पाटील का कहना है कि शिवसेना में जो चल रहा है, उससे हमारा कोई संबंध नहीं है। यह उनका अंदरूनी मामला है। उसी दौरान रावसाहेब दानवे अपने शरीर पर हल्दी लगाकर, सिर पर सेहरा बांधकर कहते हैं कि ‘अब ज्यादा से ज्यादा एक-दो दिन ही विपक्ष में बैठेंगे, दो-तीन दिन में भाजपा की सरकार आ जाएगी।’
शिवसेना में विद्रोह से कोई लेना-देना नहीं है ऐसा कहना और दूसरी तरफ दो दिन में भाजपा की सरकार आ जाएगी। ऐसा कहना। इसमें सच्चाई क्या है?
शाह ने की बागियों से बात
मुंबई में बागियों के मुखपत्र में एक खबर प्रकाशित हुई है। कहा जा रहा है कि अमित शाह ने बागी विधायकों से वीडियो कॉन्फ्रसिंग के जरिए मधुर संवाद साधा। कहा जा रहा है कि इस संवाद में शाह ने विद्रोहियों की अपात्रता के संदर्भ में चर्चा की। बागी विधायकों को कार्रवाई नहीं होने देंगे, ऐसा आश्वासन शाह ने दिया, ऐसा प्रकाशित हुआ। अमित शाह से बातचीत के बाद बागी विधायकों में उत्साह का संचार हुआ। उत्साह और बढ़े इसके लिए गृहमंत्री शाह ने बागी विधायकों को केंद्रीय सुरक्षा प्रदान की।
यदि जनमन के प्रति जिम्मेदारी को लेकर शर्म होती तो वे मंत्रिपद से इस्तीफा देकर राज्य से बाहर गए होते, परंतु शिवसेना द्वारा दिया गया मंत्री पद बरकरार रखकर वे सिद्धांत की बात कर रहे हैं। कहते हैं कि हम महाराष्ट्र, हिंदुत्व के हित के लिए भाजपा के साथ जा रहे हैं, लेकिन महानुभाव, महाराष्ट्र पर ‘फूटने और ‘टूटने’ का संकट भाजपा की वजह से आया है, इस पर गुवाहाटी में आपके दलबदलू प्रवक्ता अभी तक मुंह नहीं खोल रहे हैं?
दिल्ली में बैठे भाजपाई नेताओं ने महाराष्ट्र को तीन टुकड़ों में बांटने की खतरनाक साजिश रची है। महाराष्ट्र के सीधे तीन टुकड़े करने हैं, मुंबई को अलग करना और छत्रपति शिवराय के इस अखंड महाराष्ट्र को तबाह करने का दांव है, ऐसा खुलासा कर्नाटक के भाजपाई नेताओं ने ही किया है। इस बारे में खुद को प्रखर हिंदुत्ववादी, महाराष्ट्र समर्थक कहलवाने वालों का क्या कहना है? जो भाजपा लगातार महाराष्ट्र पर हमला कर रही है, उसी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से मार्गदर्शन लेकर ये लोग उत्साह की ऊर्जा उत्पन्न कर रहे हैं।
महाराष्ट्र सरकार को गिराने का धंधा निश्चित तौर पर कौन कर रहा है? इस साजिश का खुलासा हो जाने के बाद भी ये लोग उनके नाम के जयकारे लगा रहे हैं। उस पर शिवसेना और सरकार के पक्ष में जो खड़े हैं, उन लोगों को ‘ईडी’ की फांस में फंसाकर आवाज दबाने की कोशिश जारी ही है। महाराष्ट्र के सियासी पटल पर ये खेल और कब तक चलेगा?
छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति संभाजी महाराज की धर्मनिष्ठा और स्वराज्य प्रेम का उदाहरण हम देते हैं, वह स्वराज्य प्रेम आज कहां चला गया? बात स्वाभिमान और हिंदुत्व की करना और इस तरह का अलग ही धंधा करके महाराष्ट्र द्रोहियों के हाथ मजबूत करना। ‘महाराष्ट्र के टुकड़े करनेवालों के हम टुकड़े कर देंगे, ऐसा कोई शिवसैनिक कहता तो, ‘उनसे हमारी जान को खतरा हैऽऽ’, ऐसा कहकर शोर मचाना। बेलगांव के मराठियों पर होनेवाले जुल्म पर भी इनके मुंह बंद हो जाएंगे।
शिवसेना ने इन तमाम विषयों पर न सिर्फ प्रखर भूमिका अपनाई है बल्कि सड़कों पर संघर्ष भी किया है। भारतीय जनता पार्टी से जो लोग गठजोड़ करना चाहते हैं, उन्हें महाराष्ट्र के प्रति अपने स्वाभिमान की एक बार जांच कर लेनी चाहिए। जैसा कि दानवे कहते हैं, राज्य में अगले दो दिनों में उनकी सरकार आ जाएगी, बागियों की नहीं। इसके लिए वे जल्दी में हैं, लेकिन क्या महाराष्ट्र यह पाप स्वीकार करेगा?
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