महाराष्ट्र की राजनीति में एक सुनहरा पन्ना लिखा गया। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद एक पल में मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। वे भी कुछ समय रुक कर लोकतंत्र की जीत के लिए आंकड़ों का खेल खेल सकते थे। विश्वासमत प्रस्ताव के समय भी हंगामा खड़ा करके कुछ विधायकों को निलंबित करवाकर वे सरकार बचा सकते थे, परंतु उन्होंने वह मार्ग नहीं चुना और अपने शालीन स्वभाव के अनुरूप भूमिका अपनाई।