महाराष्ट्र की राजनीति में एक सुनहरा पन्ना लिखा गया। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद एक पल में मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। वे भी कुछ समय रुक कर लोकतंत्र की जीत के लिए आंकड़ों का खेल खेल सकते थे। विश्वासमत प्रस्ताव के समय भी हंगामा खड़ा करके कुछ विधायकों को निलंबित करवाकर वे सरकार बचा सकते थे, परंतु उन्होंने वह मार्ग नहीं चुना और अपने शालीन स्वभाव के अनुरूप भूमिका अपनाई।
संविधान अब नैतिकता के पतन से ग्रसित हो गया: शिवसेना
- राजनीति
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- 1 Jul, 2022
शिवसेना के मुखपत्र सामना में महा विकास आघाडी सरकार के गिरने को लेकर न्यायालय और राज्यपाल पर टिप्पणी की गई है। साथ ही बीजेपी और केंद्र सरकार पर भी हमला बोला गया है।

‘वर्षा’ बंगला तो उन्होंने पहले ही छोड़ दिया था। बंगला अपने पास ही रहे इसके लिए उन्होंने मिर्ची का हवन आदि वगैरह झमेला नहीं किया। उन्होंने सामान समेटा व ‘मातोश्री’ पहुंच गए।
अब मुख्यमंत्री पद व विधान परिषद के विधायक का पद भी त्याग दिया। पूरे समय शिवसेना का कार्य करने के लिए वे मुक्त हो गए, ऐसा उन्होंने घोषित किया है।