कर्नाटक भाजपा का एक विवादित वीडियो सामने आया है, जिसमें कथित तौर पर अनुसूचित जाति या जनजाति के सदस्यों को वोट न देने के लिए धमकाने का आरोप है। इस वीडियो के खिलाफ कांग्रेस ने केंद्रीय चुनाव आयोग में शिकायत की है। इसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, भाजपा सोशल मीडिया प्रभारी अमित मालवीय, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई गई है। कांग्रेस का आरोप है कि एससी/एसटी समुदाय के सदस्यों में शत्रुता, घृणा और दुर्भावना की भावना पैदा करने के इरादे से आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया गया है।
कांग्रेस ने इससे पहले करीब 20 शिकायतें भाजपा के खिलाफ चुनाव आयोग में की हैं लेकिन आयोग ने किसी पर सीधी कार्रवाई नहीं की है। इससे पहले मोदी के साम्प्रदायिक भाषणों की शिकायत भी की गई थी लेकिन चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की। हालांकि मोदी के साम्प्रदायिक बयानों को विदेशी मीडिया ने कवर करते हुए उन्हें नफरत फैलाने वाला पाया था।
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के मीडिया और संचार विभाग प्रभारी कांग्रेस नेता रमेश बाबू ने इस संबंध में चुनाव अधिकारियों को पत्र लिखा है। उन्होंने कर्नाटक भाजपा के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा किए गए वीडियो की ओर इशारा किया, जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के एनिमेटेड पात्रों को दर्शाया गया है।
वीडियो में एससी, एसटी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को स्पष्ट रूप से आरक्षण की टोकरी में "अंडे" के रूप में दिखाया गया है। वीडियो में राहुल गांधी के एक एनिमेटेड चरित्र को आरक्षण टोकरी में मुस्लिम समुदाय का एक और "अंडा" डालते हुए दिखाया गया है। इसमें कांग्रेस नेताओं को उनके मुंह में अधिक फंड डालकर एससी, एसटी और ओबीसी के मुकाबले मुस्लिम समुदाय का पक्ष लेते हुए दिखाया गया है। रमेश बाबू ने कहा, "उस वीडियो में, ऐसे पेश किया गया है जैसे कि मुस्लिम समुदाय के मुंह में राहुल पैसे डाल रहे हैं और मुस्लिम समुदाय एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय को बाहर निकाल देता है।"
कांग्रेस नेता रमेश बाबू ने कहा- “यह वीडियो न सिर्फ आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है बल्कि एससी/एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 के तहत अपराध भी है। कांग्रेस नेता ने चिंता व्यक्त की कि इस तरह की कार्रवाइयों से समुदायों के बीच नफरत और दुर्भावना भड़क सकती है। कर्नाटक की 14 लोकसभा सीटों पर अभी मतदान होना है। यह वीडियो...एससी/एसटी समुदाय को कांग्रेस को वोट न देने के लिए डराने के अलावा और कुछ नहीं है। यह एससी/एसटी समुदाय के सदस्यों को डराने-धमकाने और एससी/एसटी समुदाय के लोगों को "अंडे" के रूप में दिखाकर उनकी छवि खराब करने का स्पष्ट मामला है।“
30 अप्रैल को भी भाजपा ने इंस्टाग्राम सहित तमाम सोशल मीडिया पर एक एनिमेटेड वीडियो प्रकाशित किया, जिसमें मोदी के राष्ट्र को बचाने के लिए आने से पहले, मध्ययुगीन भारत पर हमला करने और उसकी संपत्ति लूटने वाले हिंसक और लालची मुस्लिम पुरुष हमलावरों का रूढ़िवादी चित्रण दिखाया गया था। वीडियो में बताया गया अगर कांग्रेस चुनी गई तो वह हिंदू धन और संपत्ति को मुसलमानों के बीच बांट देगी। इस वीडियो के खिलाफ तमाम नागरिक संगठनों ने ऐतराज जताया। केंद्रीय चुनाव आयोग से शिकायत की गई। अदालत में जाने की धमकी दी गई। भाजपा ने सोशल मीडिया से अगले दिन इस एनिमेटेड वीडियो को हटा लिया।
मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने 16 मार्च को लोकसभा चुनाव 2024 के कार्यक्रम की घोषणा करते हुए राजनीतिक दलों को नफरत भरे भाषणों, जाति या धार्मिक अपीलों, निजी जीवन के किसी भी पहलू की आलोचना, विज्ञापनों को समाचार और सोशल मीडिया के रूप में प्रस्तुत करने के खिलाफ सलाह दी थी। लेकिन उन्हीं राजीव कुमार के पास अब ऐसी शिकायतों को देखने का समय भी नहीं है।
नफरत किसी भी रूप में फैलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट निर्देश हैं। 2023 में तो सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि अगर किसी जगह साम्प्रदायिक भाषण से माहौल बिगाड़ा जाता है तो वहां के डीएम और एसपी इसके जिम्मेदार होंगे। उन्हें ऐसे लोगों के खिलाफ फौरन कोई कार्रवाई करना होगी। लेकिन चुनाव के दौरान जब सबसे ज्यादा हेट स्पीच हो रही है तो चुनाव आयोग चुप बैठा है। यह आचार संहिता राजनेताओं को ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल होने से रोकती है जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ा सकती है या आपसी नफरत पैदा कर सकती है। आचार संहिता के पहले ही पैराग्राफ में लिखा है, "कोई भी पार्टी या उम्मीदवार ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ा सकता है, या आपसी नफरत पैदा कर सकता है या विभिन्न जातियों और समुदायों, धार्मिक या भाषाई के बीच तनाव पैदा कर सकता है।"
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े का कहना है कि केंद्रीय चुनाव आयोग के पास भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत अपार शक्तियां हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि आयोग के पास पावर की कमी है; बात सिर्फ इतनी है कि उसमें इच्छाशक्ति (विल पावर) की कमी है।
कांग्रेस का घोषणापत्र आने के बाद ही मोदी ने मुसलमानों की आड़ लेकर हमले शुरू कर दिए थे। सबसे पहले उन्होंने कहा कि कांग्रेस घोषणापत्र में लिखा है कि कांग्रेस बाकी लोगों की संपत्ति छीनकर मुसलमानों को बांट देगी। किसी के पास दो कमरा है तो एक कमरा मुसलमान को दे देगी। किसी के पास दो भैंस है तो एक भैंस मुसलमान को दे देगी। उन्होंने महिलाओं को डराते हुए कहा कि आपका मंगलसूत्र छीनकर मुसलमानों में बांट देंगे, आपके जेवरात छीन लिए जाएंगे। मीडिया ने बार-बार बताया कि कांग्रेस के घोषणापत्र में ऐसा कहीं नहीं लिखा है लेकिन मोदी के बयान रुके नहीं है। इसके बाद उन्होंने मुस्लिमों को वोट बैंक बताते हुए कांग्रेस पर हमला किया। कांग्रेस का कहना है कि उसकी 20 शिकायतें चुनाव आयोग के पास सबूतों के साथ पहले ही पहुंची हुई हैं लेकिन कार्रवाई किसी पर नहीं हो रही है।
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