केंद्रीय क़ानून और न्याय मंत्री किरण रिजिजू ने सोनिया गांधी पर उनके संपादकीय लेख के लिए हमला किया है। सोनिया गांधी ने संपादकीय में लिखा है कि बीजेपी सरकार 'भारत के लोकतंत्र के सभी तीन स्तंभों को व्यवस्थित रूप से ख़त्म कर रही है'। सोनिया के इन आरोपों पर किरण रिजिजू भड़क गए और उन्होंने कहा, 'भारतीय लोकतंत्र केवल 1975 में एक बार ख़त्म हुआ था। और उसके बाद यह फिर कभी नहीं हुआ और न कभी होगा।'
बीजेपी नेता रिजिजू ने सोनिया के बयान पर तंज कसते हुए कहा, 'सोनिया गांधी लोकतंत्र के बारे में लेक्चर दे रही हैं? कांग्रेस न्यायपालिका की स्वतंत्रता के बारे में बात कर रही है...।'
Smt Sonia Gandhi is lecturing about Democracy? Congress Party talking about independence of Judiciary is : An illusory statement of the highest improbity. https://t.co/JUQmXhY4Sq pic.twitter.com/QAIb6KzvRP
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) April 11, 2023
किरण रिजिजू ने सोनिया गांधी पर अपने हमले को तेज करते हुए कहा, 'हम क़ानून के शासन में विश्वास करते हैं। लोकतंत्र की भावना देश में बहुत जीवंत है। निर्वाचित सरकार से सभी सवाल पूछें, लेकिन अपने देश से सवाल न करें।'
कांग्रेस नेता पर परोक्ष रूप से कटाक्ष करते हुए कानून मंत्री ने कहा, 'देश के खिलाफ मत जाइए। कुछ लोगों के साथ समस्या यह है कि वे सोचते हैं कि वे विशेषाधिकार प्राप्त पृष्ठभूमि से आते हैं और फिर उनकी सोच अलग स्तर पर चली जाती है।'
किरण रिजिजू ने यह हमला इसलिए किया है कि सोनिया गांधी ने लेख में बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी पर तीखा हमला किया।
सोनिया ने लिखा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र की बीजेपी सरकार लोकतंत्र के तीनों स्तंभों को बहुत सिस्टमैटिक तरीके से खत्म कर रही है। पिछले दिनों हमने इसको संसद में खत्म होते देखा है।' संसद की कार्रवाई का हवाला देते हुए उन्होंने लिखा है कि 'बीजेपी सरकार ने विपक्ष को जनता की आवाज़ उठाने से रोका। मीडिया को डरा-धमका कर उसकी स्वतंत्रता छीन ली है। सांसदों की सदस्यता रद्द की जा रही है।'
सोनिया गांधी के लेख का शीर्षक 'दबाई हुई चुप्पी भारत की समस्याओं को हल नहीं कर सकती' है। इसमें उन्होंने लिखा है कि 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान या तो आज के सबसे ज़रूरी, महत्वपूर्ण मुद्दों को नजरअंदाज करते हैं, या इन मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए फिजूल की बातें करते हैं।'
सोनिया ने संसद में हालिया व्यवधानों का उल्लेख किया और सत्रों को बाधित करने के लिए रणनीति अपनाने का सरकार पक आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि विपक्ष को बेरोजगारी, मुद्रास्फीति और सामाजिक विभाजन जैसे मुद्दों को उठाने से रोका।
जाँच एजेंसियों के दुरुपयोग का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने लिखा कि दूसरी पार्टियों के नेता, जिनके ख़िलाफ़ किसी भी प्रकार की जाँच चल रही होती है, उसके बीजेपी में जाते ही सभी मामले 'चमत्कारिक रूप से' बंद हो जाते हैं। पिछले कुछ सालों में जाँच एजेंसियों द्वारा दायर किये ज़्यादातर मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ हैं।
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