कल्पना सोरेन
जेएमएम - गांडेय
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बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार
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भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए 195 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची शनिवार को जारी की। उसी दिन भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में जयंत चौधरी को इस क्लब में एंट्री दी गई। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया पर लिखा- “मैंने अमित शाह की उपस्थिति में आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी से मुलाकात की। मैं एनडीए परिवार में शामिल होने के उनके फैसले का दिल से स्वागत करता हूं। पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आप विकसित भारत और उत्तर प्रदेश के विकास की यात्रा में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। अब की बार एनडीए 400 पार।”
2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, जाट एक कृषक समुदाय है जो यूपी की 20 करोड़ आबादी का केवल 2% है। उनकी आबादी राज्य के पश्चिमी हिस्सों में गन्ना उत्पादक जिलों में फैली हुई है। उनकी आबादी उनकी प्रमुख सामाजिक स्थिति के साथ मिलकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में चुनाव नतीजों को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करते हैं। पश्चिमी यूपी का यह पैटर्न यूपी के अन्य हिस्सों में प्रभावी नहीं रहता है।
नवंबर 2021 में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा तीन विवादास्पद कानूनों को वापस लेने से पहले एक साल से अधिक समय तक दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहने वालों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान भी शामिल थे। पश्चिमी यूपी में लोगों को अब भी लगता है कि मोदी सरकार की रियायतें किसानों के लिए पर्याप्त नहीं हैं। उसके हालात नहीं बदल रहे हैं। चूंकि पिछले किसान आंदोलन में जयंत चौधरी ने पुलिस की लाठियां उसके लिए खाई थीं तो वो उसे अपना हितैषी मानता है। लेकिन अब हितैषी भाजपा और एनडीए के साथ है तो वो पसोपेश में है। उसके सामने अब सवाल है कि जयंत के पीछे खड़े होकर भाजपा को वोट दे या फिर इंडिया गठबंधन के दलों कांग्रेस-सपा को वोट दे। जयंत ने उसे मुश्किल में डाल दिया है।
देश की नामी महिला पहलवानों ने जब भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह के कथित यौन उत्पीड़न के खिलाफ मोर्चा खोला तो उन महिला पहलवानों के साथ सबसे पहले हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी यूपी के जाट और किसान खड़े हुए। क्योंकि आंदोलन करने वाली महिला पहलवान जाट थीं। बाद में पहलवान जब अपने मेडल विसर्जित करने हरिद्वार पहुंचे तो नरेश टिकैत ने उन्हें ऐसा करने से रोका। खुद जयंत चौधरी ने महिला पहलवानों के प्रदर्शन स्थल जंतर मंतर पर पहुंचकर उन्हें समर्थन दिया।
पिछले दस वर्षों में बीजेपी जाट समुदाय से कोई बड़ा नेता पार्टी के अंदर पैदा नहीं कर पाई है। साहिब सिंह वर्मा एक समय बीजेपी का जाट चेहरा थे, लेकिन उनके निधन के बाद न तो उनके बेटे प्रवेश वर्मा और न ही कोई अन्य नेता वह जगह बना सके। कोशिशें तो हुईं लेकिन सफल नहीं हो सकीं। ऐसे में भाजपा अब जयंत चौधरी को जाट नेता के रूप में ही पसंद कर रही है और उसी छवि का फायदा उठाना चाहती है। लेकिन क्या पश्चिमी यूपी के जाट और किसान जयंत चौधरी की आड़ में भाजपा को यह फायदा उठाने देंगे, क्योंकि जाटों और किसानों को इस सरकार से तमाम शिकायतें हैं।
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