दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे किसानों के आंदोलन ने देश की जाट राजनीति में उबाल ला दिया है। लगभग सभी जाट नेता किसान परिवार से संबंध रखते हैं और सियासत में आने के बाद भी किसानों के मुद्दों पर आवाज़ उठाते रहे हैं। या यूं कहें कि सियासत करने के लिए उन्हें किसानों के साथ खड़े होना ज़रूरी होता है, इसलिए वे ख़ुद को किसान पुत्र भी बताते हैं।