दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे किसानों के आंदोलन ने देश की जाट राजनीति में उबाल ला दिया है। लगभग सभी जाट नेता किसान परिवार से संबंध रखते हैं और सियासत में आने के बाद भी किसानों के मुद्दों पर आवाज़ उठाते रहे हैं। या यूं कहें कि सियासत करने के लिए उन्हें किसानों के साथ खड़े होना ज़रूरी होता है, इसलिए वे ख़ुद को किसान पुत्र भी बताते हैं।
किसान आंदोलन: जाट राजनीति में उबाल, बीजेपी मुसीबत में!
- राजनीति
- |
- |
- 5 Mar, 2021

दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे किसानों के आंदोलन ने देश की जाट राजनीति में उबाल ला दिया है।
किसान आंदोलन ने जाट समुदाय में फिर से राजनीतिक चेतना को जगाया है। दिल्ली के तमाम बॉर्डर्स पर चल रहे किसानों के आंदोलन को आप देखेंगे तो यहां सिख और हिंदू जाटों के साथ ही मुसलिम जाटों की भी भागीदारी देखने को मिलेगी।
पहले यह बात समझनी ज़रूरी है कि जाट जमींदार कौम है यानी जिसके पास ज़मीन है। कुछ और जातियां भी जमींदार हैं लेकिन जाटों के पास ज़मीन ज़्यादा है इसलिए किसान आंदोलन में इनका प्रभाव ज़्यादा है।