'भारत जोड़ो यात्रा' के बीच क्या कांग्रेस में नयी ऊर्जा दिख रही है? क्या पार्टी में कुछ आमूलचूल परिवर्तन नज़र आ रहा है? और यदि ऐसा है तो यह किन वजहों से है? कांग्रेस में आख़िर चल क्या रहा है? इसकी रणनीति क्या है? इन सब सवालों का जवाब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने दिया है।
जयराम रमेश ने सत्य हिंदी के संपादकीय निदेशक आशुतोष के साथ एक साक्षात्कार में कांग्रेस से जुड़े हर सवालों का जवाब बेबाकी से दिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने माना कि कांग्रेस ने ग़लतियाँ कीं, इसे विपक्ष में रहना नहीं आता था, संगठन में नकारात्कमता फैल गई थी। उन्होंने यहाँ तक माना कि पिछले 20-25 साल से कांग्रेस समझ नहीं पाई कि भारत बदल रहा है और वह पिछड़ती चली गई। तो क्या पार्टी ने अब इन ग़लतियों को सुधारना शुरू कर दिया है? और क्या इन्हीं बदलावों से पार्टी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान ऊर्जावान दिख रही है?
भारत जोड़ो यात्रा से क्या बदलाव आएँगे? आशुतोष के इस सवाल के एक जवाब में जयराम रमेश ने कहा, 'राजनीति में ये परिवर्तनकारी क्षण है। हमारे संगठन के लिए नयी जान फूँकने का प्रयास है। मैं नहीं समझता हूँ कि यह जादू की छड़ी है। पर एक महत्वपूर्ण कदम है।' उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा की योजना उदयपुर चिंतन शिविर में बनी थी।
उन्होंने कहा, 'कांग्रेस को आउट ऑफ़ बॉक्स थिंकिंग की ज़रूरत थी। हमारे संगठन और जनता को यह संदेश पहुँचाना था कि हम साहसिक क़दम के लिए तैयार हैं।'
आशुतोष ने पूछा, ये संदेश कांग्रेस को जीवित करने का है या बीजेपी की ताक़त का मुक़ाबला करने का है? क्या आपको लगता है कि आप मुक़ाबला कर सकते हैं?
इस सवाल पर कि कांग्रेस से लोग छोड़कर क्यों जा रहे हैं, जयराम रमेश ने कहा, 'थोड़ी सुस्ती आ गई थी। हमारा संगठन एक हाथी की तरह है। बड़ा संगठन है। हाथी धीरे-धीरे चलता है, लेकिन जब मन में आ जाता है कि तेजी से चलना है तो हाथी तेजी से भी चल सकता है।'
मनोवैज्ञानिक जंग हार रही थी कांग्रेस?
कांग्रेस नेता ने आगे कहा, 'हमारे संगठन में नकारात्मकता बढ़ गई थी। ...मनोवैज्ञानिक जंग हम हार रहे थे। हमारे ही संगठन में हमारे ही नेता, हमारे ही कार्यकर्ता नकारात्मक संदेश पहुँचाते थे। एक नकारात्मक मानसिकता फैल जाती थी। तो इससे हमें निपटना था।' जयराम रमेश ने कहा, 'जब मुझे कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट की ज़िम्मेदारी दी गई तो पहले दिन से मैं सोच रहा था कि हम कैसे आक्रामक बनें। .... लंबी-लंबी बहस में हमें नहीं पड़ना है।... हमारे संगठन में नयी ऊर्जा, नया उत्साह, नयी उमंग लानी है।'
कांग्रेस के कमजोर होने और लोगों के पार्टी छोड़कर जाने के सवाल पर जयराम रमेश ने कहा, 'ठीक है कि लोग छोड़कर जा रहे हैं, लोग चिट्ठी लिख रहे हैं, लोग हमारी आलोचना कर रहे हैं, पर हम जीत सकते हैं, हमारे में बल है, हमारे में क्षमता है।'
सिर्फ़ विरासत के दम पर लड़ पाएगी?
कांग्रेस नेता ने कहा कि 'इतिहास तो है। विरासत में तो बहुत कुछ हमें मिले हैं। लेकिन सिर्फ़ विरासत और इतिहास के आधार पर हम आगे नहीं चल सकते हैं। और हम बीजेपी का मुक़ाबला नहीं कर सकते हैं।'
भारत जोड़ो यात्रा का मक़सद
कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा का प्राथमिक मक़सद संगठन को मज़बूत करना था। भारत जोड़ो निकालने के तीन अन्य बड़े मक़सद भी हैं-
- आर्थिक विषमताएँ बढ़ रही हैं। ये देश को कमजोर कर रही हैं।
- सामाजिक ध्रुवीकरण हो रहा है। धर्म के नाम पर। भाषा के नाम पर। खाने-पीने की चीज़ों के नाम पर। यह समाज को कमजोर कर रहा है।
- राजनीतिक केंद्रीकरण हो रहा है। राज्यों के अधिकार छीने जा रहे हैं। संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है। संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग हो रहा है। सारे निर्णय प्रधानमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय ले रहे हैं।
क्या कांग्रेस कमजोर हो रही है? इस सवाल पर जयराम रमेश ने कहा कि आर्थिक मुद्दों और प्रशासिक मुद्दों पर हम काम करते रहे, लेकिन राजनीतिक मुद्दों पर हमने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि हमने सोचा कि 1991 में लाई गई मार्केट इकनॉमी से हमें फायदा होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि वे ग़लत साबित हुए।
उन्होंने पार्टी की तरफ़ से हुई ग़लतियों का ज़िक्र करते हुए कहा, 'ग़लतियाँ हमसे भी हुई हैं। ...शाहबानो फैसला देखिए। अयोध्या में ताले खुलवाए गए...। इस पर फिर से चर्चा हो सकती है।'
संगठन में क्या कमी है?
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने संगठन को लेकर भी खरी-खरी जवाब दिया। उन्होंने कहा, 'जब हम सत्ता में होते हैं तो संगठन को नज़रअंदाज करते हैं। जब हम सत्ता में नहीं होते हैं तब संगठन की बात करना शुरू कर देते हैं।'
उन्होंने गठबंधन को लेकर सवाल पर कहा, 'हमने जहाँ गठबंधन किया वहाँ हम कमजोर हुए। हमने अलग-अलग पार्टियों को बढ़ने का मौक़ा दिया और हम कमजोर होते गए। महाराष्ट्र, बिहार जैसे राज्यों में हम कमजोर हुए। हमारे घटक दल मजबूत होते गए और हम कमजोर होते गए। हमें कमजोरी में गठबंधन नहीं करना चाहिए।'
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हमें अभी विपक्ष में रहना नहीं आता। हम अभी सीख रहे हैं। हम अभी पदयात्रा, जन जागरण रैलियाँ करना सीख रहे हैं। सत्ता में रहते ये सब करते नहीं हैं न।
जयराम रमेश, कांग्रेस नेता
उन्होंने कहा, 'पिछले 20-25 साल से हम समझ नहीं पाए कि भारत बदल रहा है। युवा पीढ़ी की अपेक्षाएँ बढ़ रही हैं। कम्युनिकेशन का जगत बदल रहा है। हमें देरी से जानकारी होती है। देरी से हम उठते हैं, देरी से हम प्रतिक्रिया देते हैं। तो ये सब मिलाजुला प्रभाव है। ...चिंताजनक स्थिति है, चुनौतियाँ गंभीर हैं। इसको कम करके आँकना नहीं चाहता हूँ।'
भारत जोड़ो यात्रा को लेकर जयराम रमेश ने कहा,
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यह कोई जादू की छड़ी नहीं है। हम ईमानदारी से एक प्रयास कर रहे हैं। राहुल गांधी चाहते हैं कि 'कांग्रेस की आइडियोलॉजी में स्पष्टता आए, कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं में जो अंतर आ गया है, जो दूरी है उसको कम करें।
जयराम रमेश, कांग्रेस नेता
राहुल की भूमिका क्या?
राहुल को लेकर एक सवाल के जवाब में जयराम रमेश ने कहा, 'अध्यक्ष कोई भी बने, राहुल गांधी कांग्रेस की विचारधारा के मार्गदर्शक बनेंगे। राहुल गांधी गाड़ियों में लगे जीपीएस चिप की माफिक होंगे।'
जयराम रमेश ने कहा, 'बीजेपी घबराई हुई है। उसको आश्चर्य हो रहा है कि अरे, ये जो मरा हुआ हाथी कैसे चल रहा है। न सिर्फ़ चल रहा है, बल्कि बिगुल बजा रहा है। और लोग भारत जोड़ो यात्रा में आ रहे हैं।' जब पूछा गया कि कांग्रेस मीडिया से नाराज़ क्यों है, तो कांग्रेस नेता ने कहा कि मीडिया के लोग नाराज़ नहीं हैं, बल्कि मीडिया घरानों के मालिक नाराज़ हैं।
कांग्रेस विपक्षी एकता के पक्ष में है या नहीं?
जयराम रमेश ने कहा, 'मजबूत विपक्षी एकता के लिए कांग्रेस को मजबूत होना ज़रूरी है। यदि कांग्रेस 150 से कम सीट लाती है तो विपक्षी एकता मज़बूत नहीं हो सकती है।'
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