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पीएम मोदी के 'हनुमान' चिराग क्या अब महागठबंधन में जाएँगे?

चिराग़ पासवान बिहार में पीएम मोदी के कार्यक्रम में शरीक नहीं हुए। बीजेपी के 'मोदी का परिवार' अभियान में भी चिराग़ शामिल नहीं हुए। एनडीए का सीट बँटवारा भी नहीं हो पा रहा है। तो क्या एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं है और क्या बिहार में अब बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को झटका लगने वाला है? मीडिया रिपोर्टें जो आ रही हैं वे बीजेपी को परेशान करने वाली हैं।

रिपोर्ट है कि लोकसभा चुनाव के लिए चिराग पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को तेजस्वी यादव वाले महागठबंधन ने आकर्षक ऑफर दिया है। यह पेशकश एनडीए गठबंधन से कहीं ज़्यादा लुभावने लगते हैं और इस वजह से कहा जा रहा है कि चिराग पासवान गठबंधन बदलने के बारे में फ़ैसला ले सकते हैं। हालाँक, एक तथ्य यह भी है कि कई राजनीतिक मंचों से चिराग पासवान ने अपने आप को नरेंद्र मोदी का हनुमान बताया है। लेकिन कहा जाता है कि राजनीति संभावनाओं और अवसरों का खेल होता है। तो सवाल है कि आख़िर चिराग के सामने क्या संभावनाएँ और अवसर हैं कि वह पाला बदलने के बारे में सोच सकें?

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बिहार में एनडीए के भीतर सीटों के बंटवारे को लेकर खींचतान जारी है। समझा जाता है कि एनडीए में नीतीश की वापसी के बाद से ही नाराज़ चिराग पासवान को इंडिया गठबंधन की ओर से बिहार में आठ और उत्तर प्रदेश में दो लोकसभा सीटों की पेशकश की गई है। 

कहा जा रहा है कि जबकि एनडीए की तरफ़ से चिराग को छह सीटों की ही पेशकश की गई है, और उसमें भी उनको सीटों को उनके चाचा और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख पशुपति पारस के साथ बाँटना होगा। उनके साथ चिराग के अच्छे संबंध नहीं हैं। एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि चिराग को इंडिया गठबंधन की पेशकश में वे सभी छह सीटें शामिल हैं जिन पर लोक जनशक्ति पार्टी यानी एलजेपी ने 2019 में चुनाव लड़ा था, और इसके अलावा बिहार में ही दो सीटों और एवं उत्तर प्रदेश में भी दो सीटों की पेशकश की गई है। यानी चिराग की पार्टी को कुल 10 सीटें मिल सकती हैं जिनको उनको अपने चाचा के लिए छोड़ने की ज़रूरत भी नहीं होगी।

इंडिया टुडे ने भी सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि महागठबंधन उन्हें शामिल करने की कोशिश कर रहा है और उन्हें बिहार में आठ लोकसभा सीटें और उत्तर प्रदेश में दो लोकसभा सीटों की पेशकश की गई है।
समझा जाता है कि चिराग पासवान और उनके चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस के बीच विवाद के कारण एनडीए में सीट बँटवारे में लगातार देरी हो रही है।
ख़बर है कि एनडीए में चिराग पासवान और पशुपति पारस को छह सीटें देने की बात चल रही है, लेकिन दोनों इसके लिए तैयार नहीं हैं। चिराग पासवान की मांग है कि जब लोक जनशक्ति पार्टी टूटी नहीं थी 2019 के फॉर्मूले के मुताबिक उनके 6 सांसद जीते थे तो आगामी लोकसभा चुनाव में भी 6 सीटों पर उनका दावा बना रहे। पशुपति पारस का भी दावा है कि लोक जनशक्ति पार्टी के छह में से पांच सांसद अब उनके साथ हैं और उनकी पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी का हिस्सा है, ऐसे में उनका दावा भी 6 सीटों पर है।
india alliance offer for chirag paswan party against nda for loksabha polls - Satya Hindi

दोनों के बीच हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर भी लड़ाई है, जहाँ से दोनों चुनाव लड़ना चाहते हैं। फिलहाल पशुपति पारस हाजीपुर से सांसद हैं, लेकिन चिराग पासवान ने भी अपने दिवंगत पिता राम विलास पासवान की विरासत का हवाला देते हुए हाजीपुर सीट पर अपना दावा ठोक दिया है। 

बता दें कि राम विलास पासवान के निधन के एक साल बाद पशुपति पारस द्वारा तख्तापलट के बाद 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी विभाजित हो गई थी। राम विलास पासवान पशुपति पारस के भाई और चिराग पासवान के पिता थे। पारस को भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए द्वारा कैबिनेट में जगह दिए जाने के बाद चिराग पासवान ने जनता दल यूनाइटेड और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला किया था। हालाँकि, उन्होंने भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने से परहेज किया था। उन्होंने पीएम मोदी को पहले अपना राम कहा था और कहा था कि वह उनके हनुमान हैं।

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नीतीश कुमार के साथ मतभेदों के कारण 2020 में एनडीए छोड़ने के बाद चिराग पासवान पिछले साल गठबंधन में फिर से शामिल हो गए थे, जब बिहार के मुख्यमंत्री महागठबंधन का हिस्सा थे। अब जब नीतीश फिर से एनडीए में हैं तो कथित तौर पर तनाव है। उधर तेजस्वी ने भी यह कहकर संकेत दे दिया है कि जो आना चाहते हैं उनका महागठबंधन में स्वागत है। ऐसे में अब सवाल वही है कि क्या खुद को पीएम मोदी का हनुमान बताने वाले चिराग पासवान त्याग करेंगे या फिर मौक़ों की तलाश में आगे बढ़ जाएँगे?

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क़मर वहीद नक़वी
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