पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी सांसदों, मंत्रियों, विधायकों और नेताओं का विरोध बढ़ता जा रहा है। डॉ महेश शर्मा के विरोध की किसी ने कल्पना नहीं की थी। क्योंकि वो नोएडा, बुलंदशहर, मेरठ, शामली वगैरह में लोकल नेताओं के संपर्क में हर वक्त रहते हैं। उन्हें लोग जानते भी हैं। लेकिन बुलंदशहर की सिकंदराबाद तहसील के गांव दुल्हेरा में लोगों ने उनका घेराव कर लिया।
हैरानी तो यह है कि इस गांव को सांसद डॉ महेश शर्मा ने गोद लिया हुआ था और इस गांव में विकास के तमाम काम का दावा किया था। लेकिन दुल्हेरा गांव के लोग बीजेपी और डॉ महेश शर्मा का विकास एक झटके में भूल गए। गांव के लोगों ने आरोप लगाया कि डॉ महेश शर्मा का इस गांव को गोद लेना बीजेपी का ड्रामा था। गोद लेने के बाद डॉ महेश शर्मा इस गांव में झांकने तक नहीं आए। अब जब चुनाव आया तो उन्हें गोद लिए हुए गांव की याद आई।
#Bulandshah
— Abu Taha (@Imaftab05) February 2, 2022
बुलंदशहर में BJP सांसद महेश शर्मा का विरोध
BJP प्रत्याशी के प्रचार के लिए पहुंचे थे महेश शर्मा
ग्रामीणों ने ‘महेश शर्मा वापस जाओ’ के लगाए नारे
सिकंदराबाद विधानसभा के दुलहेरा गांव का मामला @BhootSantosh @ZakiyaKINC#Restoreaftabahmed06
pic.twitter.com/romRSl2gTl
आज नोएडा में पूर्व केंद्रीय मंत्री व वर्तमान भाजपा सांसद डॉ महेश शर्मा का स्थानीय जनता ने जमकर विरोध किया,
— Manish Jagan Agrawal (मनीष जगन अग्रवाल) (@manishjagan) February 1, 2022
मौके से सांसद महोदय को भागना पड़ा,
गांव गांव में भाजपा नेताओं का खदेड़ा जारी है,
मंत्री हो ,सांसद हो या विधायक हो ,जनता का गुस्सा भाजपाइयों पर भारी है! #नहीं_चाहिए_भाजपा pic.twitter.com/hBqyrXzLFO
ब्राह्मण मिशन हुआ फेल
चुनाव की तारीख घोषित होने के बाद बीजेपी के यूपी प्रभारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने यूपी के नाराज ब्राह्मण मतदाताओं को मनाने के लिए बीजेपी सांसदों और नेताओं की एक कमेटी बनी थी, जिसके सदस्य डॉ महेश शर्मा भी थे। इस कमेटी से ब्राह्मण बहुल गांवों का दौरा करने गए थे।
डॉ शर्मा इसी मिशन के तहत दुल्हेरा गांव पहुंचे थे, जहां काफी तादाद में ब्राह्मण परिवार भी रहते हैं। लेकिन अब ब्राह्मण लोग भी डॉ महेश शर्मा जैसे कथित ब्राह्मण नेताओं की कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है। बीजेपी की ब्राह्मण कमेटी के अन्य नेताओं ने भी अपने दौरे की कोई उल्लेखनीय रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की। लेकिन उनमें से किसी की डॉ शर्मा जैसी भद्द पिटने की सूचनाएं नहीं हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जिन बीजेपी प्रत्याशियों का विरोध हुआ, उनमें भी अधिकांश जाट या ओबीसी हैं। लेकिन डॉ शर्मा के विरोध के कई मायने हैं।
दुल्हेरा गांव में डॉ शर्मा का विरोध बताता है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी की लोकप्रियता का ग्राफ बहुत नीचे चला गया है और अखिलेश-जयंत चौधरी इस समय रेस में सबसे आगे हैं।
बता दें कि डॉ महेश शर्मा मोदी कैबिनेट की भी शोभा बढ़ा चुके हैं। लेकिन अगली बार जब मंत्रिमंडल विस्तार हुआ तो उन्हें दोबारा मंत्री नहीं बनाया गया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जब दादरी के गांव में अखलाक हत्याकांड हुआ तो इसमें जो आरोपी नामजद हुए थे, उन्हें सम्मानित करने का काम इसी बीजेपी सांसद ने बतौर मंत्री किया था। इसकी बहुत आलोचना हुई थी।
बहरहाल, दुल्हेरा गांव में आज हुए विरोध को डॉ महेश शर्मा पी गए हैं। उन्होंने सुबह से अब तक कई सारे ट्वीट किए, लेकिन विरोध की इस घटना का जिक्र नहीं किया। वह सही मायने में ऐसे नेता साबित हो रहे हैं, जिन्हें जनता के विरोध से कोई फर्क नहीं पड़ता।
अपनी राय बतायें