राष्ट्रपति भी आहत, लेकिन महिलाओं के मुद्दे पर चुप
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी बुधवार को अपनी भावनाएं प्रकट कर दीं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को "अपमानित" करने के तरीके पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को खुद को व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए, लेकिन उनकी अभिव्यक्ति "गरिमा और शिष्टाचार के मानदंडों" के भीतर होनी चाहिए। राषट्रपति ने ट्वीट करके अपनी भावनाएं बचाईं। हालांकि महिला राष्ट्रपति होने के बावजूद मुर्मू उस समय चुप रहीं जब मणिपुर में महिलाओं से गैंगरेप करके उनकी नग्न परेड कराई गई, जब देश की नाम महिला पहलवानों ने भाजपा सांसद पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया, जब विरोध प्रदर्शन करने वाली महिला पहलवानों को पुलिस ने सड़कों पर घसीटा।
क्या ध्यान भटकाना है मकसद
संसद से 141 विपक्षी सांसदों का निलंबन अप्रत्याशित घटना नहीं है। जो साफ-साफ नजर आ रहा है, उससे लगता है कि इस निलंबन की आड़ में महत्वपूर्ण मुद्दों पर विपक्ष की आवाज को दबा दिया गया। तमाम विवादास्पद बिल इस दौरान पास करा लिए गए। जिसमें चुनाव आयोग, दूर संचार और अपराध संहिता से जुड़े विधेयक शामिल हैं। जब ये बिल देश में कानून बनकर लागू हो जाएंगे तो भारत की राजनीति भी पूरी तरह बदल जाएगी।। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस भी यही मानती है कि ध्यान भटकाने के लिए धनखड़ का इस्तेमाल हो रहा है।जयराम रमेश ने क्या कहा
The entire Modi ecosystem now being galvanised on the so-called mimicry non-issue, while it remains silent on the real issue of why and how a BJP MP from Mysuru facilitated entry of two intruders into Lok Sabha on December 13th — who are now charged under the anti-terror law…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 20, 2023
जाट राजनीति
संसद के बाहर हुई घटना पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बयान देकर इसे जाटों की इज्जत के साथ जोड़ दिया। उनके बयान के फौरन बाद जाट एसोसिएशन ने बयान देकर इसकी निन्दा भी कर दी। हालांकि धनखड़ समेत जाट एसोसिएशन किसानों के मुद्दों पर तब चुप रहे थे जब देश में किसान आंदोलन चरम पर था। दरअसल, किसान आंदोलन और महिला पहलवानों की वजह से जाट मतदाता भाजपा से बहुत दूर जा चुका है। राजस्थान में हाल के विधानसभा चुनावों में तमाम जाट बहुल सीटों से या तो कांग्रेस या आरएलडी प्रत्याशी जीते हैं। भरतपुर सीट पर जयंत चौधरी की पार्टी आरएलडी (रालोद) का प्रत्याशी था, जिस जीत हासिल हुई। रालोद पश्चिमी यूपी की पार्टी है और उसका आधार जाट और मुस्लिम मतदाता हैं। हरियाणा में भी तमाम जाट नेता महिला पहलवानों के मुद्दे पर अभी तक नाराज हैं और वे चुनाव का इंतजार कर रहे हैं। हरियाणा की जाट लीडरशिप इस समय कांग्रेस के पास या फिर ओमप्रकाश चोटाला की पार्टी इनेलो के पास है। ये सारे फैक्टर भाजपा को परेशान कर रहे हैं और इसीलिए धनखड़ को राष्ट्रीय मुद्दा बनाया जा रहा है।भाजपा से 5 सवाल
सारे घटनाक्रम पर भाजपा से पांच सवाल तो बनते ही हैं। क्योंकि ये सवाल देश का मुख्यधारा का मीडिया सरकार से नहीं कर रहा है। अगर इन पांच मुद्दों का समाधान हो गया होता तो धनखड़ की मिमिक्री संसद के बाहर नहीं होती।5. संसद में अडानी का मुद्दा उठाने वाले राहुल गांधी पर कार्रवाई हुई। फिर संजय सिंह और महुआ मोइत्रा पर कार्रवाई हुई। हालांकि हर के लिए अलग-अलग मुद्दों पर कार्रवाई हुई लेकिन अडानी के मुद्दे पर यही तीन सांसद सबसे ज्यादा मुखर थे। क्या सांसदों के निलंबन का संबंध अडानी, चुनाव आयोग, दूरसंचार विधेयक पर बोलने से चुप कराना था?
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