कांग्रेस ने आज प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर मोदी सरकार द्वारा घोषित 'अग्निपथ' योजना को एक ख़राब योजना बताया है। उसने कहा है कि इस योजना के तहत 4 साल में युवाओं को फौज से निकाले जाने से युवाओं का भविष्य सुरक्षित नहीं रहेगा और इससे देश भी सुरक्षित नहीं होगा। कांग्रेस ने कहा है कि ख़राब तरीक़े से तैयार की गई अग्निपथ योजना देश को पूरी तरह सुरक्षा नहीं दे सकती है। इसने कहा है कि सैनिकों को सिर्फ़ 6 महीने में किस तरह का प्रशिक्षण दिया जा सकता है।
कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, अजय माकन, सचिन पायलट, पवन खेड़ा जैसे नेता आए। 'अग्निपथ' योजना में सैनिकों को 6 महीने की ट्रेनिंग को लेकर पी चिदंबरम ने कहा कि प्रशिक्षण का मजाक बनाया गया है।
कांग्रेस की यह प्रेस कॉन्फ़्रेंस तब हुई है जब 'अग्निपथ' योजना की घोषणा को लेकर देश में बवाल मचा है। बिहार में तो हिंसात्मक प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। कई जगहों पर ट्रेनों में आग लगा दी गई। सड़कों पर वाहनों में तोड़फोड़ की गई है। बिहार के जहानाबाद में छात्रों ने सड़क को जाम कर दिया और बक्सर में भी छात्र रेलवे ट्रैक पर उतर आए।
मुंगेर, सहरसा, आरा और नवादा में भी छात्रों ने जोरदार प्रदर्शन किया है। छात्रों ने कई जगहों पर टायरों को भी जलाया है। बुधवार को भी अग्निपथ योजना के विरोध में मुजफ्फरपुर, बेगूसराय में छात्र सड़क पर उतरे थे।
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हमारी सरकारों के अंदर कुल मिलाकर 62 लाख 29 हज़ार रिक्त पद हैं। जिसमें से अकेले भारतीय सेना के अंदर 2 लाख 55 हज़ार, सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स के अंदर 91929 रिक्त पद हैं। स्टेट पुलिस में क़रीब 5 लाख 31 हज़ार रिक्त पद हैं। रेलवे के अंदर 2 लाख 66 हज़ार रिक्त पद हैं। और भी सब पद मिला लिए जाएँ तो 62 लाख 29 हज़ार रिक्त पद हैं।
अजय माकन, कांग्रेस नेता
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद ठेके पर सैनिकों की भर्ती के लिए सिर्फ़ 46 हज़ार पद हैं। उन्होंने कहा कि इसमें सबसे महत्वपूर्ण है कि छह महीने की ट्रेनिंग और साढ़े तीन साल की नौकरी। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ 25 फ़ीसदी को ही आगे की नौकरी होगी और 75 फ़ीसदी को जबरन निकाल दिया जाएगा।
माकन ने कहा कि सैनिकों के लिए चार चीजें सबसे अहम हैं। उन्होंने कहा, 'सबसे पहले हमारे सैनिक प्रशिक्षित होने चाहिए। फिर संतुष्ट और खुश होने चाहिए। तीसरा प्रेरित होने चाहिए। और चौथा सुरक्षित भविष्य उनका होना चाहिए। क्या छह महीने की ट्रेनिंग से वे पूरी तरह प्रशिक्षित होंगे? क्या वे शुरुआत में 30 हज़ार रुपये और चौथे साल में 40 हज़ार रुपये महीने की सैलरी मिलने से संतुष्ट होंगे? क्या वे प्रेरित होंगे जब कोई उनका अपनी यूनिट नहीं होगी? क्या उनका भविष्य सुरक्षित नहीं होगा? जब ऐसा नहीं होगा तो देश की हमारी सीमा कैसे सुरक्षित रहेगी?'
राहुल गांधी ने आज ही ट्वीट कर कहा है, "न कोई रैंक, न कोई पेंशन। न 2 साल से कोई सीधी भर्ती। न 4 साल के बाद स्थिर भविष्य। न सरकार का सेना के प्रति सम्मान। देश के बेरोज़गार युवाओं की आवाज़ सुनिए, इन्हें 'अग्निपथ' पर चला कर इनके संयम की 'अग्निपरीक्षा' मत लीजिए, प्रधानमंत्री जी।"
न कोई रैंक, न कोई पेंशन
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) June 16, 2022
न 2 साल से कोई direct भर्ती
न 4 साल के बाद स्थिर भविष्य
न सरकार का सेना के प्रति सम्मान
देश के बेरोज़गार युवाओं की आवाज़ सुनिए, इन्हे 'अग्निपथ' पर चला कर इनके संयम की 'अग्निपरीक्षा' मत लीजिए, प्रधानमंत्री जी।
दो दिन पहले ही कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि मोदी सरकार भारतीय सेना की गरिमा, परंपरा, अनुशासन की परिपाटी से खिलवाड़ कर रही है। उन्होंने कहा- 4 साल के ठेके पर फौज में भर्ती देश की सुरक्षा के लिए सुखद संदेश नहीं है। चार साल की नौकरी के बाद भर्ती हुए युवाओं के भविष्य का क्या होगा?
सुरजेवाला ने सवाल किया था, ‘एक तरफ पाकिस्तान की सीमा और दूसरी तरफ चीन की सीमा है तो क्या नियमित भर्ती पर पाबंदी लगाकर चार साल की ठेके की भर्ती करना देशहित में है?’
सुरजेवाला ने कहा कि रक्षा विशेषज्ञों का भी मानना है कि यह निर्णय कहीं न कहीं तीनों सेनाओं की कार्यक्षमता, निपुणता, योग्यता, प्रभावशीलता व सामर्थ्य से समझौता करने वाला है। उन्होंने यह भी पूछा,‘चार साल के बाद 22 से 25 साल की उम्र में बगैर किसी अतिरिक्त योग्यता के ये युवा अपने भविष्य का निर्माण कैसे करेंगे?’
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