कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने कहा है कि सेना के लिए सरकार की 'अग्निपथ' योजना सही दिशा में एक क़दम है। उन्होंने एनडीटीवी से बातचीत में आधुनिक युद्ध के तौर-तरीकों में भारी बदलाव को देखते हुए इसे एक अच्छा सुधार बताया है। तिवारी का यह बयान दूसरे कांग्रेस नेताओं और पार्टी के आधिकारिक बयान के क़रीब-क़रीब विपरीत है।
मनीष तिवारी के बयान से कुछ घंटे पहले ही कांग्रेस पार्टी ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा है कि ख़राब तरीक़े से तैयार की गई अग्निपथ योजना देश को पूरी तरह सुरक्षा नहीं दे सकती है। इसने कहा है कि सैनिकों को सिर्फ़ 6 महीने में किस तरह का प्रशिक्षण दिया जा सकता है।
कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम, अजय माकन, सचिन पायलट, पवन खेड़ा जैसे कई नेता आए थे। 'अग्निपथ' योजना में सैनिकों को 6 महीने की ट्रेनिंग को लेकर पी चिदंबरम ने कहा कि प्रशिक्षण का मजाक बनाया गया है।
अजय माकन ने कहा कि सैनिकों के लिए चार चीजें सबसे अहम हैं। उन्होंने कहा, 'सबसे पहले हमारे सैनिक प्रशिक्षित होने चाहिए। फिर संतुष्ट और खुश होने चाहिए। तीसरा प्रेरित होने चाहिए। और चौथा सुरक्षित भविष्य उनका होना चाहिए। क्या छह महीने की ट्रेनिंग से वे पूरी तरह प्रशिक्षित होंगे? क्या वे शुरुआत में 30 हज़ार रुपये और चौथे साल में 40 हज़ार रुपये महीने की सैलरी मिलने से संतुष्ट होंगे? क्या वे प्रेरित होंगे जब कोई उनकी अपनी यूनिट नहीं होगी? क्या उनका भविष्य सुरक्षित होगा? जब ऐसा नहीं होगा तो देश की हमारी सीमा कैसे सुरक्षित रहेगी?'
राहुल गांधी ने भी 'अग्निपथ' योजना पर सवाल उठाए हैं और आज ही ट्वीट कर कहा है, "न कोई रैंक, न कोई पेंशन। न 2 साल से कोई सीधी भर्ती। न 4 साल के बाद स्थिर भविष्य। न सरकार का सेना के प्रति सम्मान। देश के बेरोज़गार युवाओं की आवाज़ सुनिए, इन्हें 'अग्निपथ' पर चला कर इनके संयम की 'अग्निपरीक्षा' मत लीजिए, प्रधानमंत्री जी।"
लेकिन इन नेताओं से अलग मनीष तिवारी ने एनडीटीवी से कहा, 'आज कल के जमाने में आपको एक मोबाइल सेना, एक युवा सेना की आवश्यकता होती है। आपको प्रौद्योगिकी और हथियारों पर अधिक खर्च की आवश्यकता होती है। ऐसा नहीं हो सकेगा यदि आपके पास जमीन पर सैनिकों की बहुत बड़ी संख्या हो और जहां आपका अधिकांश पैसा खर्च हो जाता है।'
पहले भी कई मौक़ों पर पार्टी लाइन से अलग विचार रखने वाले तिवारी ने कहा कि पिछले दशकों में युद्ध की प्रकृति में बदलाव आया है। उन्होंने कहा, 'यदि आप तीन दशक पहले के सशस्त्र बलों को देखेंगे, तो एक अधिक मोबाइल अभियान वाला दस्ता रहा है जो प्रौद्योगिकी पर अधिक निर्भर रहा है, जो नवीनतम हथियारों पर अधिक निर्भर रहा है और जो कम उम्र वालों का रहा है- इसलिए उन परिस्थितियों में ऐसे सुधार की बहुत ज़्यादा ज़रूरत है।'
उन्होंने आगे कहा, 'इसके अलावा आप इसे पसंद करें या नहीं, वन रैंक वन पेंशन योजना के कारण बढ़ता पेंशन बिल, मुझे लगता है कि सरकार की नज़र में होगा।' हालाँकि, 4 साल की नौकरी को लेकर उन्होंने यह स्वीकार किया कि देश के युवाओं की यह चिंता वैध है, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि देश का सशस्त्र बल 'रोजगार गारंटी कार्यक्रम नहीं है'।
इधर कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ़्रेंस में अजय माकन ने सेना में खाली पद और रोजगार के अवसर को लेकर कहा है, 'हमारे देश में ठेके पर सैनिकों की भर्ती का नया नाम अग्निपथ है। और यह हमारे देश के करोड़ों बेरोजगार युवाओं के साथ में भद्दा मजाक है।' उन्होंने सरकारी कार्यालयों में खाली पदों का ज़िक्र करते हुए कहा, 'हमारी सरकारों के अंदर कुल मिलाकर 62 लाख 29 हज़ार रिक्त पद हैं। जिसमें से अकेले भारतीय सेना के अंदर 2 लाख 55 हज़ार, सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्स के अंदर 91929 रिक्त पद हैं। स्टेट पुलिस में क़रीब 5 लाख 31 हज़ार रिक्त पद हैं। रेलवे के अंदर 2 लाख 66 हज़ार रिक्त पद हैं। और भी सब पद मिला लिए जाएँ तो 62 लाख 29 हज़ार रिक्त पद हैं।'
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद ठेके पर सैनिकों की भर्ती के लिए सिर्फ़ 46 हज़ार पद हैं। उन्होंने कहा कि इसमें सबसे महत्वपूर्ण है कि छह महीने की ट्रेनिंग और साढ़े तीन साल की नौकरी। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ 25 फ़ीसदी को ही आगे की नौकरी होगी और 75 फ़ीसदी को जबरन निकाल दिया जाएगा।
अपनी राय बतायें