पांच चुनावी राज्यों में करारी हार के बाद कांग्रेस की मुश्किलों में इजाफा हो सकता है। पार्टी में असंतुष्ट नेताओं यानी G-23 गुट के नेताओं की बैठक जल्द ही दिल्ली में होने जा रही है। इसमें यह गुट आगे की रणनीति तय करेगा।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि पांच चुनावी राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। उम्मीद थी कि वह पंजाब में सत्ता बरकरार रखेगी और उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में बेहतर प्रदर्शन करेगी।
लेकिन किसी नए राज्य में जीत हासिल करने के बजाय उसने पंजाब को भी गंवा दिया है। पंजाब में हार इस कदर करारी है कि मुख्यमंत्री अपनी दोनों सीटों और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी चुनाव हार गए हैं।
इसी तरह उत्तराखंड में बड़े चुनावी चेहरे हरीश रावत चुनाव हार गए हैं तो मणिपुर में पार्टी लगभग खत्म होने के कगार पर आ पहुंची है।
कांग्रेस अब सिर्फ 2 राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही रह गई है जबकि झारखंड और महाराष्ट्र में वह सहयोगी दलों के साथ सरकार में है। लेकिन राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी पार्टी की आंतरिक गुटबाजी किसी से छिपी नहीं है।
2014 के बाद से अब तक हुए 45 चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 5 चुनाव में जीत हासिल कर सकी है और इससे समझा जा सकता है कि उसकी सियासी हालत क्या है।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता और G-23 गुट के सदस्य गुलाम नबी आजाद ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि पांच राज्यों में मिली हार के बाद उन्हें धक्का लगा है और एक के बाद एक जिस तरह कई राज्यों में हार मिल रही है उससे वह बेहद दुखी हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पार्टी का नेतृत्व अपनी गलतियों और कमजोरियों को समझेगा, जिसके बारे में वह और उनके सहयोगी लंबे वक्त से बात कर रहे हैं।
2014 के बाद से कई पूर्व केंद्रीय मंत्रियों, कई विधायकों सहित आला पदों पर रहे नेताओं ने कांग्रेस को छोड़ा है। पार्टी लगातार लोकसभा के 2 चुनाव हार चुकी है और G-23 गुट के कारण भी पार्टी की खासी फजीहत हो चुकी है।
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