कांग्रेस शायद अब भी उसी दौर में जी रही है, जब उसका एकछत्र शासन चला करता था। गांधी परिवार के निज़ाम को चुनौती देने की पार्टी के किसी नेता की जुर्रत नहीं होती थी। आज़ादी के बाद से अब तक कुछ नेताओं ने गांधी परिवार के निज़ाम के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने की कोशिश की लेकिन उनमें से ममता बनर्जी, शरद पवार को छोड़कर कोई और ख़ुद के सियासी वजूद को जिंदा नहीं रख सका। आवाज़ उठाने वालों को या तो पार्टी से बाहर जाना पड़ा या फिर मजबूर होकर पार्टी नेतृत्व के आदेश को मानना पड़ा।
आज़ाद, जितिन की उपेक्षा: ख़बरदार, गांधी परिवार की सल्तनत को चुनौती दी तो…
- राजनीति
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- 11 Sep, 2020
जब से कांग्रेस के 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा पार्टी आलाकमान को चिट्ठी लिखी गयी है, तभी से ये नेता निशाने पर हैं।

लेकिन तब हालात अलग थे, पार्टी मजबूत थी। अब लगातार दो लोकसभा चुनाव हारने के बाद भी वही ठसक, वही अकड़ गांधी परिवार में बरकरार है और यह सीधे-सीधे पार्टी के ताबूत में अंतिम कील ठोकने जैसा है।