छत्तीसगढ़ में आदिवासी सीएम की घोषणा के बाद मध्य प्रदेश और राजस्थान में सीएम पदों को लेकर चल रही उठापटक में कुछ कमी आई है। लेकिन सस्पेंस बना हुआ है। तीनों राज्यों में चुनाव के नतीजे एक हफ्ते पहले आए थे। लेकिन छत्तीसगढ़ में रविवार को फैसला हुआ। हालांकि छत्तीसगढ़ में सीएम का फैसला भाजपा आलाकमान ने किया, विधायक दल की बैठक सिर्फ खानापूरी थी। फिर भी छत्तीसगढ़ में रमन सिंह को एडजस्ट करना पड़ा। इसी तरह का फैसला भाजपा आलाकमान एमपी और राजस्थान में लेना चाहता है लेकिन वहां वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान का बड़ा कद और उनकी महत्वाकांक्षाएं आड़े आ रही हैं।
भाजपा आलाकमान तीनों राज्यों में एकदम नए चेहरों को सीएम की कुर्सी पर लाना चाहती है। लेकिन पुराने धुरंधर रुकावट बने हुए हैं।राजस्थान में तमाम नाम उछले लेकिन सभी पर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भारी पड़ रही हैं। इसी तरह मध्य प्रदेश में भी कई दावेदार हैं लेकिन शिवराज सिंह चौहान के मुकाबले कोई ठहर नहीं पा रहा है।
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मध्य प्रदेश में बीजेपी के नवनिर्वाचित विधायक विधायक दल के नेता का चुनाव करने के लिए सोमवार को भोपाल में बैठक होगी। बैठक की निगरानी हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, राष्ट्रीय सचिव आशा लाकड़ा और राज्यसभा सांसद के. लक्ष्मण करेंगे। इन लोगों को मध्य प्रदेश के लिए पार्टी पर्यवेक्षक घोषित किया गया था। पर्यवेक्षक राज्य के वरिष्ठ नेताओं और विधायकों के साथ आमने-सामने बैठक करेंगे।भाजपा ने 230 सदस्यीय विधानसभा में 163 सीटें जीतकर मध्य प्रदेश को बरकरार रखा, जबकि कांग्रेस 66 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही।
एमपी में शिवराज के मुकाबले नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल और कैलाश विजयवर्गीय के नाम सामने आए हैं। जिसमें पीएम मोदी की पसंद नरेंद्र सिंह तोमर बताए जा रहे हैं लेकिन जब से उनके बेटे का एक कथित स्कैंडल सामने आया वो नेपथ्य में चले गए। अब पीएम मोदी की दूसरी पसंद प्रह्लाद पटेल को बताया गया है। जबकि कैलाश विजयवर्गीय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पसंद हैं। लेकिन प्रह्लाद पटेल विवादित विजयवर्गीय पर भारी पड़ रहे हैं। वैसे भी एमपी में ओबीसी की दावेदारी के हिसाब से प्रह्लाद पटेल ज्यादा मजबूत हैं।
एमपी में भी आदिवासी फैक्टरः राज्य में किसी आदिवासी को मुख्यमंत्री तो नहीं बनाया जाएगा लेकिन मंत्रिमंडल में आदिवासी विधायकों को प्रमुखता जरूर मिलेगी। वरिष्ठ भाजपा नेता और निवर्तमान मंत्री ओम प्रकाश धुर्वे ने कहा: "नए मंत्रिमंडल में, आदिवासी नेताओं को आदिवासी और अन्य लोगों के कल्याण के लिए काम करने का अच्छा अवसर मिलेगा।"
राजस्थान में वसुंधरा या कोई और
राजस्थान में मामला फंसा हुआ है। पहले खबर आई थी कि विधायकों के साथ केंद्रीय पर्यवेक्षक रविवार को बैठक करेंगे। फिर इसे सोमवार के लिए कहा गया। लेकिन अब खबर है कि केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह, पार्टी महासचिव विनोद तावड़े और राज्यसभा सांसद सरोज पांडे मंगलवार को नवनिर्वाचित विधायकों की विधायी बैठक बुलवा सकते हैं। इस बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा विधायकों को वर्चुअल संबोधित कर चुके हैं।राजस्थान में रोड़ा पूर्व सीएम वसुंधरा राजे बनी हुई हैं। भाजपा आलाकमान भी उन्हें इस दौड़ में एक मजबूत चुनौती के रूप में देख रहा है। हालांकि, राजस्थान से इस्तीफा देने वाले तीन सांसदों, बाबा बालकनाथ, दीया कुमारी और किरोड़ी लाल मीणा के नाम सामने आए हैं। केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और अश्विनी वैष्णव भी कुलांचे मार रहे हैं। लेकिन वसुंधरा की टक्कर में कोई ठहर नहीं पा रहा है।
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रविवार 3 दिसंबर को राजस्थान के नतीजे आए थे। उस दिन 45 विधायकों ने जाकर वसुंधरा के पैर छुए और आर्शीवाद मांगा। इसके बाद खबरें आईं कि कम से कम 30 विधायक तो वसुंधरा के पास हैं, जो रानी को सीएम नहीं बनाए जाने पर विद्रोह कर सकते हैं। इसी बीच एक भाजपा विधायक ललित मीणा ने राज खोल दिया कि एक होटल में कुछ विधायकों को ठहराया गया है। भाजपा के राजस्थान प्रभारी अरुण सिंह ने वसुंधरा समर्थक कुछ विधायकों से बात की तो उन लोगों ने साफ कर दिया कि उन्हें वसुंधरा ही सीएम चाहिए। हालांकि अरुण सिंह ने भाजपा आलाकमान यानी मोदी-अमित शाह की राय भी बताई लेकिन विधायक कोई और नाम सुनने को तैयार नहीं हैं।
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