चुनाव आयोग ने शनिवार को 5 विधानसभा सीटों और एक लोकसभा सीट पर उपचुनाव कराए जाने का ऐलान किया है। विधानसभा सीटों में उत्तर प्रदेश की रामपुर, ओडिशा की पदमपुर, राजस्थान की सरदारशहर, बिहार की कुढ़नी और छत्तीसगढ़ की भानुप्रतापपुर सीट शामिल हैं। जबकि उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट पर भी उपचुनाव कराया जाएगा। बताना होगा कि मैनपुरी लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के निधन से खाली हुई है। जबकि रामपुर सीट समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आज़म खान की विधानसभा की सदस्यता रद्द होने के चलते खाली हुई है।
आज़म खान को कुछ दिन पहले हेट स्पीच के एक मामले में अदालत ने दोषी ठहराया था और उन्हें 3 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। इन सभी सीटों पर 5 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे और नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे।
8 दिसंबर को ही गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के नतीजों का भी ऐलान होगा।
मैनपुरी का घमासान
निश्चित रूप से मुलायम सिंह यादव जैसे बड़े कद के नेता के निधन के बाद खाली हुई मैनपुरी सीट पर चुनावी दंगल सबसे जोरदार होगा। उत्तर प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह ने कहा है कि बीजेपी मैनपुरी संसदीय क्षेत्र में पूरी तैयारी के साथ चुनाव लड़ेगी।
कौन होगा बीजेपी का उम्मीदवार?
बीजेपी ने साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में मैनपुरी सीट से सपा से बीजेपी में आए वरिष्ठ नेता प्रेम सिंह शाक्य को मैदान में उतारा था। तब मुलायम सिंह यादव को 5,24,926 जबकि प्रेम सिंह शाक्य को 4,30,537 वोट मिले थे। लेकिन इस बार बीजेपी का उम्मीदवार कौन होगा इसे लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं।
जबकि समाजवादी पार्टी तेज प्रताप सिंह यादव को मैदान में उतार सकती है। तेज प्रताप सिंह यादव मुलायम सिंह के पोते और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के दामाद हैं। तेज प्रताप यादव ने 2014 में मैनपुरी से लोकसभा का चुनाव लड़ा था और जीते थे।
मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव के बारे में कहा जा रहा है कि वह मैनपुरी से चुनाव लड़ना चाहते हैं।
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आजमगढ़ और रामपुर की जीत
कुछ महीने पहले हुए आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटों के उपचुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी। यह दोनों ही सीटें क्रमश: अखिलेश यादव और सपा के दिग्गज नेता आजम खान के विधानसभा का सदस्य चुने जाने से खाली हुई थी।
यादव मतदाता निर्णायक
मैनपुरी की सीट पर 35 फीसदी यादव मतदाता हैं जबकि अन्य 65 फीसदी में शाक्य, ठाकुर, ब्राह्मण, अनुसूचित जाति और मुस्लिम समुदाय के मतदाता हैं। निश्चित रूप से इस सीट पर यादव मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। इसलिए इस तरह की चर्चा है कि बीजेपी यहां से शिवपाल सिंह यादव को उम्मीदवार बनने का ऑफर दे सकती है। बताना होगा कि मैनपुरी से लेकर इटावा, औरैया, कन्नौज, बदायूं, फिरोजाबाद और फर्रुखाबाद तक यादव मतदाताओं की अच्छी-खासी संख्या है और निश्चित रूप से बीजेपी यादव समुदाय के किसी नेता पर ही दांव लगाना सही समझेगी।
रामपुर सीट आज़म का गढ़
आज़म खान रामपुर शहर सीट से 10 बार विधायक रह चुके हैं। उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म इसी जिले की स्वार टांडा सीट से विधायक हैं। रामपुर सीट पर मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं।
क्योंकि ये दोनों सीटें सपा के पास थीं इसलिए यहां फिर से जीत हासिल करने को लेकर सपा पर भारी दबाव है।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी को विधान परिषद के चुनाव में भी जबरदस्त कामयाबी मिली थी और उसके बाद आजमगढ़ और रामपुर की लोकसभा सीट जीतने के बाद बीजेपी के हौसले बुलंद हैं। देखना होगा कि मैनपुरी और रामपुर के सियासी दंगल में कौन सा राजनीतिक दल फतेह हासिल करता है।
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