रमेश बिधूड़ी को राजस्थान के टोंक में पार्टी की जिम्मेदारी दिए जाने पर विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि बीजेपी ने नफरत वाले भाषण के लिए इनाम दिया है। जब बिधूड़ी ने संसद में बीएसपी सांसद दानिश अली के ख़िलाफ़ अपशब्दों का इस्तेमाल किया था तभी विपक्षी दलों ने तंज में कह दिया था कि अब बीजेपी बिधूड़ी का प्रमोशन करेगी। दानिश अली ने तो इस बात पर खास जोर दिया था। तो क्या विपक्षी दलों ने ऐसी संभावना पहले ही कैसे जता दी थी? क्या बीजेपी पहले से ही ऐसे मामलों में प्रमोशन देती रही है?
क्या पहले भी बीजेपी में इस तरह के मामले हुए हैं, यह जानने से पहले यह जान लें कि सांसद रमेश बिधूड़ी का ताजा मामला क्या है।
हाल ही में संसद के विशेष सत्र में रमेश बिधूड़ी का एक आपत्तिजनक बयान सामने आया था। सोशल मीडिया पर वायरल हुए बिधूड़ी के भाषण के एक हिस्से में बिधूड़ी को बार-बार दानिश अली को अपशब्द और इस्लामोफोबिक शब्द कहते हुए देखा गया। विपक्ष के भारी विरोध के बीच भाजपा ने बिधूड़ी को कारण बताओ नोटिस भेजा है और उनसे 15 दिनों के भीतर अपनी असंसदीय भाषा पर स्पष्टीकरण देने को कहा है।
लेकिन इसी बीच बिधूड़ी को अब राजस्थान के टोंक जिले में चुनाव की जिम्मेदारी दी गई है। पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि उनकी जिम्मेदारी जिले के भाजपा चुनाव प्रभारी के समान होगी।
ऐसा ही मामला 2019 में हुआ था। जिस नलिन कुमार कतील को महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के पक्ष में बयान देने के लिए बीजेपी ने खिंचाई की थी उन्हें ही कर्नाटक बीजेपी का प्रमुख बना दिया गया था। यानी गोडसे के पक्ष में बोलने के बावजूद कतील की पदोन्नति हुई थी।
कतील ने तब एक ट्वीट किया था, 'गोडसे ने एक को मारा, कसाब ने 72 को और राजीव ने 17 हज़ार को, अब आप देखिए कौन सबसे ज़्यादा जालिम है।' पार्टी ने ख़ुद इसे ग़लत माना था और इसीलिए उनकी आलोचना की गई थी। जब काफ़ी विवाद हुआ तब बाद में ट्वीट के लिए उन्हें माफ़ी माँगनी पड़ी थी।
अनुराग ठाकुर का भी एक बड़ा विवाद 2020 में सामने आया था। तब वह केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री थे।
अनुराग ठाकुर का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वो दिल्ली के रिठाला में आयोजित एक सभा के दौरान मंच से नारे लगाते दिखाई दिये थे, "देश के गद्दारों को..."। उनके इस नारे के पीछे-पीछे वहां जमा लोगों ने नारे लगाए "गोली मारो **** को।" इस विवाद ने काफ़ी तूल पकड़ा था। लेकिन इस विवाद के बाद उनको कुछ नुक़सान नहीं हुआ। तब वह राज्य मंत्री थे और अब वह केंद्रीय कैबिनेट मंत्री हैं। यानी उनका प्रमोशन ही हुआ है।
विवादित और कथित नफरती भाषण देने के मामले में विवादित रहने वाले बीजेपी नेता तेजस्वी सूर्या को 2020 में प्रमोशन दिया गया था। मुस्लिम विरोधी बयानों की वजह से चर्चा में रहने वाले तेजस्वी सूर्या को सांसद ही नहीं बनाया गया बल्कि भारतीय जनता युवा मोर्चा का अध्यक्ष भी बना दिया गया।
एक मामला 2018 में तब हुआ था जब कठुआ दुष्कर्म का मामला सामने आया था। तब जम्मू कश्मीर में हुए मंत्रिमंडल फेरबदल में कठुआ कांड में बलात्कारियों को बचाने के लिए हिंदू एकता मंच की रैली में शामिल होने वाले विधायक राजीव जसरोटिया को बीजेपी ने मंत्री बना दिया था। इस पर भी काफी विवाद हुआ था। उमर अब्दुल्ला सहित तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने इस पर सवाल उठाए थे।
2019 में जब साध्वी प्रज्ञा सिंह ने नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था तो ख़ुद प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह उन्हें दिल से कभी माफ़ नहीं करेंगे। हालाँकि, इस मामले में भी कार्रवाई नहीं हुई। बाद में तो उन्हें कुछ संसदीय समितियों में शामिल करने की ख़बर आई थी, लेकिन जबर्दस्त आलोचना होने के बाद वह फैसला लागू नहीं किया जा सका था।
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