तेलंगाना बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय कुमार को रविवार शाम एक विरोध प्रदर्शन के दौरान करीमनगर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। बंदी संजय कुमार को आज करीमनगर कोर्ट में पेश किया गया लेकिन अदालत ने उनकी जमानत अर्जी नामंजूर कर दी है। यह गिरफ्तारी तब हुई जब कुमार शिक्षकों की समस्याओं के समाधान की मांग को लेकर करीमनगर में विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। बीजेपी ने इस पर जबरदस्त नाराजगी जताई है। बीजेपी ने तेलंगाना बंद का ऐलान कर दिया है। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा, "तेलंगाना बीजेपी प्रमुख बंदी संजय की गिरफ्तारी बेहद निंदनीय है और लोकतंत्र की हत्या के बराबर है। वह अपने कार्यालय में सभी कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस ने जबरन उनके कार्यालय में प्रवेश किया और उनके साथ मारपीट की।"
उन्होंने कहा, "के. चंद्रशेखर राव सरकार हाल के उपचुनावों में भाजपा की जीत और राज्य में हमारी पार्टी को मिल रहे समर्थन को देखकर पागल हो गई है। हम पुलिस कार्रवाई के खिलाफ सभी कानूनी और लोकतांत्रिक उपाय करेंगे।" केंद्रीय विदेश और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा, "तेलंगाना राज्य पुलिस की मनमानी और बंदी संजय कुमार की गिरफ्तारी निंदनीय है।" बीजेपी नेता एन रामचंद्र राव ने ट्वीट किया, "मैं करीमनगर में जागरण दीक्षा को विफल करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष बंदी संजय कुमार और अन्य भाजपा नेताओं की गिरफ्तारी की निंदा करता हूं, जो कर्मचारियों की स्थानांतरण नीति पर सरकारी आदेश 317 को वापस लेने की मांग के लिए किया गया था। सरकारी आदेश सरकारी सेवा में कार्यरत कर्मचारी और शिक्षक विरोधी है।"
इस पर हो रही राजनीति
करीमनगर में बंदी संजय कुमार की गिरफ्तारी पर बीजेपी और के. चंद्रशेखर राव की पार्टी के बीच रस्साकशी शुरू हो गई है। बीजेपी ने कल बंद का ऐलान कर दिया है। कई स्थानों पर प्रदर्शन भी हुए हैं। बंदी संजय कुमार को जहां जेल में बंद रखा गया है, वहां बड़ी तादाद में बीजेपी कार्यकर्ता पहुंच गए हैं।राव समर्थकों का कहना है कि तेलंगाना में बीजेपी जागरण दीक्षा कार्यक्रम के जरिए राज्य की शांति भंग करना चाहती है। वह जनता को भड़का रही है। क्या जनता की समस्याओं के खिलाफ आंदोलन करना गुनाह है।दूसरी तरफ चंद्रशेखर राव समर्थकों का कहना है कि बीजेपी जिस लोकतंत्र की दुहाई दे रही है, पहले वो अपने राज्य सरकारों ने लोकतंत्र ठीक करे। तमाम बीजेपी शासित राज्यों में जनता से बोलने का हक भी छीन लिया गया है। राजनीतिक कार्यकर्ता गिरफ्तार कर लिये जाते हैं। यूपी में तो योगी के खिलाफ कोई बयान तक नहीं दे सकता है। तमाम लोगों पर यूएपीए लगा दिया जाता है।
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