पांच महीने के भीतर देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा के चुनाव के लिए बीजेपी अपनी तैयारियों को रफ़्तार दे रही है। प्रचंड किसान आंदोलन के बीच होने जा रहे इन चुनावों में बीजेपी को अपने अहम सूबे उत्तर प्रदेश को लेकर सबसे ज़्यादा चिंता सता रही है।
पांच चुनावी राज्यों में उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तराखंड शामिल हैं जबकि 2022 के अंत में गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी चुनाव होने हैं।
इन पांच में से चार राज्यों में बीजेपी की सरकार है। पंजाब में किसान आंदोलन के बेहद मज़बूत होने और शिरोमणि अकाली दल के अलग होने के कारण बीजेपी को वहां से उम्मीद कम ही है।
मिश्रा को लेकर फंसी सरकार
किसान आंदोलन और लखीमपुर खीरी की घटना के बाद किसानों और विपक्ष ने जिस आक्रामक अंदाज में मोदी सरकार पर हमला बोला है, उससे बीजेपी निश्चित रूप से परेशान है। पार्टी की सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि वह केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को लेकर क्या फ़ैसला करे क्योंकि मिश्रा के इस्तीफ़े से उसे ब्राह्मण समुदाय की नाराज़गी का डर है तो मिश्रा को कैबिनेट में बनाए रखने से किसान आंदोलन और विपक्ष को सियासी ताक़त मिल रही है।
किसानों और विपक्ष का साफ कहना है कि अजय मिश्रा के पद पर रहते हुए लखीमपुर खीरी की घटना में मारे गए किसानों को इंसाफ़ नहीं मिल सकता। किसान इस मामले में रेल रोको आंदोलन और लखनऊ में महापंचायत करने जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश को पार्टी किसी क़ीमत पर नहीं खोना चाहती क्योंकि यह प्रदेश दिल्ली का रास्ता तय करता है। 2022 में अगर बीजेपी को यहां चुनावी हार मिली तो इसके बाद एंटी बीजेपी फ्रंट बनाने में जुटे नेताओं को ताक़त मिलेगी और बीजेपी के ख़िलाफ़ एक बड़ा गठबंधन भी तैयार हो सकता है।
इसलिए बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में ओबीसी से लेकर दलित और बाक़ी वर्गों को साधने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। बीजेपी उत्तर प्रदेश में अगले 100 दिनों में 100 कार्यक्रम करने जा रही है।
इस दौरान बीजेपी के नेता और कार्यकर्ता अलग-अलग जातियों और समुदायों के लोगों के बीच जाएंगे, डोर टू डोर प्रचार करेंगे और योगी व केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में आम लोगों को बताएंगे।
अमित शाह पांच राज्यों में पार्टी की तैयारियों को परखने के लिए वॉर रूम पहुंचे और कई घंटों तक पार्टी नेताओं के साथ मंथन करते रहे। राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर रहते हुए अमित शाह ने कई राज्यों में बीजेपी का परचम लहराया था।
उत्तराखंड में भी होगा असर
किसान आंदोलन का असर उत्तर प्रदेश के साथ ही उत्तराखंड के चुनाव पर भी होना तय है। कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य के पार्टी छोड़ने के कारण बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। हालांकि बीते कुछ महीनों में उसने तीन विधायकों को पार्टी की सदस्यता भी दिलाई है। लेकिन किसान आंदोलन से तराई और मैदानी इलाक़ों में बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगेगी, ऐसा माना जा रहा है।
मणिपुर: तैयारियों में जुटने का निर्देश
इसी तरह मणिपुर में बीजेपी ने चुनावी तैयारियों को धार दी है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हाल ही में राज्य का दौरा किया है। यहां मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के ख़िलाफ़ विधायकों में नाराज़गी की ख़बरों के कारण पार्टी ज़रूर चिंतित है। पार्टी ने अपने नेताओं को तमाम मतभेदों को भुलाकर चुनावी तैयारियों में जुटने के लिए कहा है।
गोवा में बीजेपी को वापसी की उम्मीद है। पिछली बार वहां उसने कांग्रेस के विधायकों में सेंध लगाई थी। गोवा के 15 से 10 कांग्रेस विधायक बीजेपी में शामिल हो गए थे। इस बीच, अमित शाह ख़ुद गोवा जा रहे हैं और वह वहां पार्टी नेताओं से मिलेंगे। पार्टी ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को गोवा का प्रभारी बनाया है।
सर्वे से लिया फ़ीडबैक
बीजेपी इन पांचों राज्यों में नमो एप के जरिये सर्वे कराया है। इससे मिले फ़ीडबैक से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी को चुनाव के दौरान रणनीति बुनने में मदद मिलेगी। पार्टी और संघ परिवार जानते हैं कि 2024 के चुनाव नतीजे तय करने में 2022 की बड़ी भूमिका है, इसलिए चुनावों में पूरी ताक़त के साथ उतरा जाए।
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