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चिराग पासवान

चिराग पासवान से भाजपा चाहती क्या है, विशेष शब्दों और संकेतों से शीत युद्ध

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने हाल ही में जाति जनगणना, वक्फ संशोधन विधेयक और लैटरल एंट्री के मुद्दे पर अपनी सरकार के खिलाफ स्टैंड लिया। चिराग ने कहा कि जाति जनगणना होनी चाहिए। लैटरल एंट्री के जरिए आरक्षण को किनारे रखकर सरकारी नियुक्तियां गलत है। चिराग के दोनों बयान सरकार को पसंद नहीं आये। क्योंकि मोदी सरकार और भाजपा जाति जनगणना के खिलाफ है और केंद्र में 2018 से ही लैटरल एंट्री के जरिए भर्तियां की जा रही है। इसी घटनाक्रम के बीच दैनिक भास्कर में एक खबर आई कि चिराग पासवान के खिलाफ एक याचिका दायर की गई है और चुनाव आयोग में शिकायत की गई है कि उन्होंने नामांकन दाखिल करते समय अपने शपथ पत्र में रेप का मुकदमा चलने और संपत्ति के बारे में कुछ जानकारियां छिपाई हैं। यह खबर शुक्रवार को पूरे दिन वायरल हुई। 
इसी दौरान एक घटनाक्रम ये भी हुआ कि चिराग के चाचा पशुपतिनाथ पारस से केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मुलाकात की। ये वही पारस हैं जिनके सहारे भाजपा ने चिराग की पार्टी में तोड़फोड़ की लेकिन चिराग ने अपने दम पर पूरी पार्टी को फिर खड़ा कर दिया। अखबार में खबर आने के बाद चिराग पासवान ने शुक्रवार को अमित शाह से मुलाकात की। दोनों की ओर से कोई बयान जारी नहीं किया गया लेकिन शनिवार को भाजपा की ओर से बयान जारी हुआ और चिराग ने दो ट्वीट में अपनी लंबी चौड़ी बात कही और टीवी चैनल पर भी सवालों के जवाब दिए।
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भाजपा ने शनिवार को जो खंडन जारी किया कि चिराग पासवान हमारे सम्मानित सहयोगी हैं और एनडीए का हिस्सा हैं। उनके खिलाफ याचिका दायर करने वाले राकेश कुमार सिंह का भाजपा से कोई संबंध नहीं है और न ही वो भाजपा के सदस्य हैं। लेकिन क्या चिराग पासवान को केंद्र सरकार के नीतिगत मुद्दों पर चुप रहने की चेतावनी के साथ यह खंडन जारी किया गया है।
चिराग पासवान के खिलाफ जो याचिका दायर की गई, उसमें आरोप गंभीर किस्म के हैं। दैनिक भास्कर की खबर में उन आरोपों को प्रमुखता से बताया गया है। नीचे एक्स पर ट्वीट देखिए-
बिहार भाजपा के खंडन के बाद चिराग पासवान और भाजपा में चल रहा शीत युद्ध रुक जाएगा। इसके आसार कम हैं। क्योंकि चिराग पासवान का शनिवार को किया गया एक्स पर ट्वीट काफी कुछ बता रहा है। यानी शुक्रवार शाम को बिहार से लौटने के बाद चिराग ने अमित शाह से जो मुलाकात की है, इससे वो संतुष्ट नहीं हैं। 
BJP-Chirag Paswan cold war through signals and statements - Satya Hindi
चिराग पासवान ने शुक्रवार शाम को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।

चिराग का बयान

चिराग पासवान ने शनिवार को एक्स पर लिखा- धोखा मुझे मेरे अपनों ने ही दिया। मेरे अपने अगर मेरे साथ होते तो दुनिया की कोई ताकत मेरा परिवार या मेरी पार्टी नहीं तोड़ सकती थी। मैं किसी दूसरे या बाहर वाले से क्या शिकायत करूं, जब मेरे अपने खून ने ही मेरे पीठ में खंजर घोंप दिया। जिनको मैंने पिता माना, उन्होंने ही मुझे मंझधार में छोड़ दिया तो दूसरों से क्या शिकायत करता। इस दौरान मैंने सीखा-समझा कि शिकायतें करने से कुछ नहीं होता, अपने आपको मजबूत बनाना होगा। मैंने अगली लड़ाई को जीतने के लिए अपने को मजबूत बनाया और महज तीन साल में पार्टी को वहां पर लेकर आया हूं, जहां पापा छोड़कर गए थे।

चिराग के शनिवार के बयान में दो खास बातें हैं, हालांकि उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से अपनी बात कही है। पहला अप्रत्यक्ष आरोप अपने चाचा पशुपतिनाथ पारस पर है। दूसरा अप्रत्यक्ष आरोप भाजपा पर भी है। क्योंकि भाजपा ने ही पशुपतिनाथ पारस के दम पर चिराग पासवान की पार्टी को तोड़ा था। चिराग के बयान की लाइन है- मैं किसी दूसरे या बाहर वाले से क्या शिकायत करूं, जब मेरे अपने खून ने ही मेरे पीठ में खंजर घोंप दिया। चिराग के शनिवार के बयान से यह भी साफ है कि वो भाजपा और एनडीए का साथ छूटने पर अपनी लड़ाई अकेले दम पर लड़ने को तैयार हैं।

चिराग पासवान ने शुक्रवार को क्या कहा था

चिराग पासवान ने शुक्रवार को अमित शाह से मिलने के बाद यह बयान दिया था। उन्होंने कहा था-  आज की तारीख में विपक्ष के द्वारा जो ये भ्रम फैलाया जा रहा है, मेरी पार्टी और मेरे सांसदों को लेकर, वह उसी साजिश को हवा देने की सोच है जो 2021 में रची गई थी। उस वक्त भी इन लोगों को लगा था कि ये चिराग पासवान को समाप्त कर देंगे, लेकिन ना उस वक्त ये लोग चिराग पासवान को समाप्त कर पाए और ना आगे कर पाएंगे। आज की तारीख में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) का हर सांसद बिहार 'फर्स्ट- बिहारी फर्स्ट' की सोच को धरातल पर उतारने के लिए काम कर रहा है। अब हम लोग का ध्यान अगले साल, यानी 2025 में होनेवाले विधानसभा चुनाव पर है। जो लोग सोचते हैं कि लोजपा (रामविलास) में टूट हो, वो अपनी ख्वाहिशों को पर देने का काम कर रहे हैं, वे चाहते हैं कि ऐसा हो। लेकिन, ऐसा कुछ होने वाला नहीं है। 'काठ की हांडी' बार बार नहीं चढ़ती है। इस बार ऐसा कुछ नहीं होगा।
दरअसल, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने यह दावा करके राजनीतिक हलचल मचा दी है कि लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के तीन सांसद भाजपा के निकट संपर्क में हैं, जो कि चिराग पासवान की पार्टी के भीतर संभावित दरार का संकेत है। दावों को एलजेपी (रामविलास) और बीजेपी दोनों ने खारिज कर दिया।

आरजेडी विधायक मुकेश रोशन ने यह आरोप लगाकर विवाद को हवा दे दी कि भाजपा चिराग पासवान की पार्टी से सदस्यों को तोड़ने पर आमादा है। रोशन ने सुझाव दिया कि पासवान को बिहार की भलाई के लिए आरजेडी के साथ जुड़ने पर विचार करना चाहिए।

हालांकि, बिहार एलजेपी प्रमुख राजू तिवारी ने इन अटकलों को खारिज कर दिया। तिवारी ने कहा कि चिराग और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव राजनीतिक स्पेक्ट्रम के विपरीत छोर पर खड़े हैं। तिवारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सभी सहयोगियों की मांगों पर विचार किया जा रहा है।

भाजपा सांसद धर्मशीला गुप्ता ने आरजेडी के आरोपों को पार्टी के राजनीतिक अकेलेपन का प्रतिबिंब बताते हुए खारिज कर दिया और दोहराया कि चिराग पासवान एनडीए के साथ मजबूती से जुड़े हुए हैं।

यह मामला यहीं तक सीमित नहीं है। चिराग पासवान ने एक टीवी चैनल पर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की तारीफ की है। चिराग से पशुपतिनाथ पारस और तेजस्वी की तुलना करने को कहा गया था, इस पर चिराग ने तेजस्वी की तारीफ की थी। हालांकि चिराग इसके साथ ही पीएम मोदी की भी तारीफ कर रहे हैं और कह रहे हैं कि दुनिया की कोई ताकत उन्हें मोदी से अलग नहीं कर सकती।
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चिराग के सारे बयानों को एकतरफ रखते हुए, इस बयान का क्या आशय लगाया जाए। चिराग ने टीवी चैनल पर कहा कि उनकी पार्टी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में भाजपा के साथ मिलकर लड़ना चाहती है। यह भी कहा कि वैसे तो झारखंड में हम स्वतंत्र रूप से लड़ सकते हैं, वहां हमारा भाजपा से कोई समझौता नहीं है। लेकिन अगर समझौते के तहत झारखंड में लड़ते हैं तो अच्छा रहेगा। इन दोनों बातों का मतलब आप लोग लगाइए। चिराग पासवान ने राजनीति अभी शुरू ही की है।
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क़मर वहीद नक़वी
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