त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब देब के इस ताज़ा बयान के- “अमित शाह ने कहा था कि बीजेपी को नेपाल और श्रीलंका में भी जीत हासिल करनी चाहिए”, इसके राजनीतिक अर्थ हैं। बिप्लब देब के मुताबिक़, अमित शाह ने यह बात अगरतला में पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच कही थी और उस वक़्त वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।
देब मुख्यमंत्री जैसे अहम पद पर हैं इसलिए उन्होंने अमित शाह का नाम यूं ही नहीं लिया होगा। इससे सवाल खड़ा होता है कि क्या वास्तव में बीजेपी भारत के बाहर अपना विस्तार करने के इरादे रखती है क्योंकि देब के बयान का खंडन पार्टी ने अब तक नहीं किया है।
खंडन तो दूर, त्रिपुरा की राज्य इकाई देब के समर्थन में आ गई है और उसने कहा है कि देब की बात पूरी तरह सच है और उन्होंने बीजेपी की महत्वाकांक्षी योजना को लेकर ही यह बात कही है। त्रिपुरा बीजेपी के प्रवक्ता नाबेंदु भट्टाचार्या ने कहा, “हम भारत के दर्शन और यहां की संस्कृति को अलग-अलग देशों में ले जाने के लिए लंबे वक़्त से काम कर रहे हैं। हमने कभी भी चुनाव लड़ने को प्राथमिकता में नहीं रखा, हम हर जगह के लोगों को जीतना चाहते हैं।”
नाबेंदु ने कहा कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी की दुनिया के दूसरे देशों में भी पहुंच है और जिस तरह नेपाली कांग्रेस है और कई देशों में कम्युनिस्ट पार्टियां भी हैं, उसी तरह आख़िर क्यों बीजेपी की विचारधारा को दुनिया भर में नहीं फैलाया जा सकता।
नेपाल ने दर्ज कराई आपत्ति
देब के इस बयान पर नेपाल सरकार ने आपत्ति दर्ज कराई थी। नेपाल में सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी और मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने इस बयान की आलोचना की और कहा था कि यह नेपाल की संप्रभुता को कम करने की कोशिश है।
देब और त्रिपुरा बीजेपी के प्रवक्ता के बयान से यह साफ होता है कि बीजेपी अपने राष्ट्रवाद के मिशन को हर सूरत में भारत से बाहर भी ले जाना चाहती है। यह उसकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा है और यह बयान पार्टी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह के हवाले से दिया गया है।
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