बिहार की राजनीति करवट ले रही है। मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार जहां विपक्षी एकता के केंद्र में हैं, वहीं बिहार की राजनीति में उन्हें उलझाने के लिए शतरंज की बिसात बिछाई जा रही है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा-सेक्युलर (HAMS) के संरक्षक जीतन राम मांझी ने गुरुवार को दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की। मांझी-शाह मुलाकात से ये अफवाह तेज हो गई कि मांझी महागठबंधन (MGB) को छोड़कर बीजेपी के साथ हाथ मिला सकते हैं। मांझी ने, हालांकि, इससे इनकार किया।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक मांझी ने हालांकि इसका खंडन किया और कहा कि वो महागठबंधन के साथ रहने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने नीतीश कुमार को "पीएम मैटेरियल" करार दिया। मांझी ने अपनी सफाई देते हुए कहा कि वो 'माउंटेन मैन' दशरथ मांझी के लिए भारत रत्न की मांग करने राष्ट्रपति और केंद्रीय गृह मंत्री के पास गए थे। मैंने गृहमंत्री से बाराचट्टी, गया में सेना के फायरिंग रेंज में आकर मरने वालों का मामला उठाया। हाल ही में आकस्मिक गोलीबारी की घटना में मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवजा देने पर विचार करने के लिए भी कहा। मैंने लोंगी मांझी का मुद्दा उठाया, जिन्होंने वर्षों पहले गया में 4 किमी लंबी नहर खोदी थी।
इंडियन एक्सप्रेस ने लिखा है कि जब मांझी दिल्ली में थे, उसी समय नीतीश भी दिल्ली में थे, तो क्या उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मुलाकात की थी। मांझी ने कहा: मैंने समय मांगा था, लेकिन नहीं मिला। वह जो कुछ भी कर रहे हैं वह विपक्ष के लिए अच्छा है। आमतौर पर लोग राजनीति में शपथ नहीं लेते हैं, लेकिन मैंने नीतीश कुमार के साथ रहने की कसम खाई है। मेरा मानना है कि उनमें पीएम बनने की क्षमता है।
बहरहाल, मांझी की तमाम सफाई के बावजूद बिहार में एमजीबी के नेता बहुत ज्यादा भरोसा जीतन राम मांझी पर नहीं कर रहे हैं। हाल ही में पूर्णिया की एक जनसभा में, सीएम नीतीश कुमार ने कहा था कि भाजपा की नजर जीतन राम मांझी पर है। नीतीश ने मांझी को चेतावनी देते हुए कहा था कि भाजपा उन्हें लुभाने की कोशिश कर रही है। नीतीश ने कहा था कि "देख लीजिए, आजकल आप (मांझी) पर उनकी नजर है।"
इंडियन एक्सप्रेस ने मांझी के करीबी सूत्रों के हवाले से कहा कि मांझी महागठबंधन के अंदर बहुत सहज महसूस नहीं कर रहे हैं। भाजपा के एक सूत्र ने कहा - मांझी लंबे समय से हमारे संपर्क में हैं। वो महागठबंधन में घुटन महसूस कर रहे हैं। यह बहुत संभव है कि भाजपा के पास पूर्व मुख्यमंत्री के लिए कुछ योजनाएँ हों।
बहरहाल, नीतीश कुमार अक्सर सात दलों के बिहार गठबंधन को एक सफल प्रयोग के रूप में बताते हैं। उसी तरह का गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर बनाने के लिए वो दिल्ली में तीन दिनों तक तमाम विपक्षी नेताओं से मिले। जबकि भाजपा भी खुद के गठबंधन एनडीए को फिर से जिन्दा करने की कोशिश कर रही है। इसने LJP (रामविलास), VIP (विकासशील इंसान पार्टी) और RLJD (राष्ट्रीय लोक जनता दल) जैसी बिहार की छोटी पार्टियों को "फुसलाना" करना शुरू कर दिया है। अगर बाजपा मांझी को एनडीए में लाती है, तो वह दो मजबूत दलित नेताओं को अपने पाले में करने का दावा कर सकती है।
मांझी की पार्टी के चार विधायक हैं। जिसके पास महागठबंधन में बहुत ज्यादा जगह नहीं है। हालांकि मांझी के बेटे एमएलसी और मंत्री हैं, लेकिन पूर्व सीएम लंबे समय से अपने लिए एक और एमएलसी सीट या कोई अन्य सम्मानजनक पद पाने की कोशिश कर रहे हैं।
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