क्या सीबीआई जानबूझ कर कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को फँसा रही है? क्या राजीव कुमार को सीबीआई के बहाने डराने का काम किया जा रहा है? क्या राजीव कुमार के घर पर 40 सीबीआई वालों का पहुँचना किसी बड़ी राजनीतिक साजिश का हिस्सा है? क्या पश्चिम बंगाल में राजनीतिक ज़मीन तलाश कर रही भारतीय जनता पार्टी राजीव कुमार को अपनी राजनीति का मोहरा बनाने में लगी है? क्या बीजेपी की इस साजिश में पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और तृणमूल कांग्रेस से बीजेपी में आए और शारदा घोटाले में अभियुक्त मुकुल राय शामिल हैं?
ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि कैलाश विजयवर्गीय और मुकुल राय के बीच टेलीफ़ोन बातचीत की एक ऑडियो क्लिप इन दिनों ख़ासी चर्चा में हैं। पश्चिम बंगाल में बांग्ला भाषा में निकलने वाले आनंद बाज़ार पत्रिका अख़बार ने अपने ऑनलाइन संस्करण में 3 अक्टूबर, 2018 को एक ख़बर छापी है।
छह मिनट 15 सेकंड के इस ऑडियो क्लिप में कैलाश विजयवर्गीय और मुकुल राय बातचीत करते हुए सुने जा सकते हैं। कैलाश विजयवर्गीय पश्चिम बंगाल बीजेपी ईकाई के प्रभारी हैं और मुकुल राय उनको यह बता रहे हैं कि चार आईपीएएस अधिकारियों को सीबीआई से डरा दिया जाए तो काम बन सकता है।
अख़बार का कहना है कि वह इस ऑडियो क्लिप की सत्यता की पुष्टि नहीं कर सकता। लेकिन 10 अक्टूबर 2018 को इंडियन एक्सप्रेस ने भी ऑडियो क्लिप में दोनों नेताओं के बीच बातचीत की ख़बर छापी है। इस ख़बर में मुकुल राय से अख़बार ने बातचीत भी की। राय ने यह कहा है कि उनका फ़ोन राज्य की ममता बनर्जी सरकार टैप करा रही है।
मुकुल राय ने यह माना कि सोशल मीडिया में उनके नाम से दो ऑडियो क्लिप्स चल रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या क्लिप में सुनाई पड़ने वाली आवाज़ उनकी है, तो उन्होंने न इसका खंडन किया न ही इसे माना।
उन्होंने अख़बार से यह ज़रूर कहा कि कोलकाता की पुलिस उनका फ़ोन टैप कर रही है और उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले में मुक़दमा भी दायर करा दिया है। अब पहले कोलकाता पुलिस इस सवाल का जवाब दे कि वह फ़ोन टैप कर रही है या नहीं। विजयवर्गीय ने ऑडियो क्लिप की बात को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यह बोगस है।
छह मिनट 15 सेकंड के इस ऑडियो क्लिप के अंत में कैलाश विजयवर्गीय कहते हैं- मैं अध्यक्ष जी के यहां जा रहा हूं। क्या क्या बात करनी चाहिए?
मुकुल राय: इधर तो चार आईपीएएस हैं, अगर सीबीआई थोड़ा नज़र डाले, थोड़ा ध्यान दें तो ये अफ़सर डर जाएँगे।
मुकुल राय की बात से साफ़ है कि वह चार आईपीएस अफ़सरों को सीबीआई के ज़रिए डराना चाहते हैं। हालाँकि इस बातचीत में अफ़सरों के नाम नहीं बताए गए हैं, न ही, इस बात का ज़िक्र है कि किस संदर्भ में और क्यों उनको डराने की ज़रूरत है। इन अफ़सरों को किस मक़सद से डराना है, यह भी साफ़ नहीं है। कहीं राजीव कुमार तो इन अफ़सरों में नहीं हैं, जिनको डराने की बात मुकुल राय कर रहे हैं?
इसी बातचीत में मुकुल राय इनकम टैक्स विभाग में डाइरेक्टर और एडिशनल डाइरेक्टर के पद पर अपने पसंदीदा अफ़सरों की नियुक्ति की बात कर रहे हैं।
मुकुल राय: उनको बोलिए कि ई डी नहीं, इनकम टैक्स में डालने के लिए डाइरेक्टर इनवेस्टिगेशन और एडिशनल डाइरेक्टर इनवेस्टीगेशन को भेजें। उनके नाम मैं बोलता हूं।
मुकुल राय के यह कहने के बाद कैलाश विजयवर्गीय पूछते हैं कि किस पद पर लाना होगा और हमें नाम एसएमएस कर दीजिए।
इस पूरी बातचीत से दो बातें साफ़ हैं। एक, कुछ आईपीएस अफ़सरों को डराने के लिए सीबीआई का बेजा इस्तेमाल किया जाना था। दो, इनकम टैक्स के जाँच विभाग में डाइरेक्टर और एडिशनल डाइरेक्टर (इनवेस्टिगेशन) पद पर पसंदीदा अफ़सरों को लाने की बात की जा रही है।
ये पसंदीदा अफ़सर क्यों और किस मक़सद से लाए जा रहे हैं, इसका खुलासा उस ऑडियो क्लिप से नहीं होता है। पर विजयवर्गीय की बात से साफ़ है कि पार्टी अध्यक्ष यह काम आसानी से करा देंगे। हम आपको बता दें कि राजीव कुमार पर कैलाश विजयवर्गीय की नज़र लंबे समय से है।
5 जनवरी, 2017 के मिंट के ऑनलाइन संस्करण में यह ख़बर छपी है कि कैलाश विजयवर्गीय ने यह कहा कि वह सीबीआई से यह कहेंगे कि वह कोलकाता के पुलिस कमिश्नर के ख़िलाफ़ शारदा मामले में सबूत मिटाने के लिए कोलकाता पुलिस कमिश्नर की भूमिका की जाँच करे।
राजीव कुमार शारदा मामले की जाँच के लिए बनी एसआईटी के प्रमुख थे। बाद में सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की जाँच एसआईटी से लेकर सीबीआई को सौंप दी। उस समय से ये आरोप लग रहे हैं कि राजीव कुमार ने जाँच में मिले सबूत नष्ट कर दिए।
सवाल यह उठता है कि विजयवर्गीय न तो सरकार मे न ही वह जज कि वह सीबीआई को जाँच के लिए कह सकें। वह सिर्फ़ बीजेपी के एक नेता हैं। तो किस हैसियत से सीबीआई को जाँच के निर्देश देने की बात कह रहे हैं? क्या कैलाश विजयवर्गीय के उस बयान, ऑडियो क्लिप और राजीव कुमार के घर सीबीआई के अफ़सरों के पहुँचने में कोई संबंध है। अगर ऑडियो क्लिप की बातचीत सच है तो यह पूरा मामला बहुत ही संगीन हो जाता है। बीजेपी को इस सवाल का जवाब देना चाहिए कि वह जानबूझ कर एक आईपीएस अफ़सर को क्यों फँसाने का काम कर रहे हैं।
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