एक के बाद एक कर कांग्रेस छोड़ रहे नेताओं को लेकर पार्टी के भीतर से प्रतिक्रिया आने लगी है। G-23 गुट के नेताओं ने कहा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार का पार्टी छोड़ना यह दिखाता है कि पार्टी में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है। बता दें कि अश्विनी कुमार ने मंगलवार को कांग्रेस को अलविदा कह दिया था।
G-23 गुट के नेताओं में शुमार गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि एक के बाद एक नेताओं का कांग्रेस छोड़कर जाना बेहद चिंता का विषय है।
राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा और लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने कहा है कि पार्टी को इसे लेकर आत्मचिंतन करने की जरूरत है।
भगदड़ की आशंका
G-23 गुट के नेताओं ने अगस्त, 2020 में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कई सवाल उठाए थे और पार्टी की कार्यशैली में बदलाव की आवाज को बुलंद किया था। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक, कई नेताओं ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि उन्हें इस बात पर कोई हैरानी नहीं होगी कि पांच राज्यों के चुनाव नतीजे अगर कांग्रेस के पक्ष में नहीं रहते हैं तो पार्टी में भगदड़ मच सकती है।
बता दें कि कुछ दिन पहले ही एक और पूर्व केंद्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश से आने वाले बड़े नेता आरपीएन सिंह ने कांग्रेस को अलविदा कहकर बीजेपी का दामन थाम लिया था।
जम्मू-कश्मीर से आने वाले गुलाम नबी आजाद ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि नेताओं का पार्टी छोड़ना बेहद चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि अश्विनी कुमार चौथे या पांचवे पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं जिन्होंने कांग्रेस का साथ छोड़ा है। इसके अलावा बड़ी संख्या में नेताओं और कार्यकर्ताओं ने देश भर में कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है।
बता दें कि गुलाम नबी आजाद के समर्थन में जम्मू-कश्मीर में भी कई नेताओं ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था।
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस को नेताओं के पार्टी छोड़कर जाने को लेकर बहुत आत्मचिंतन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह कहना ठीक नहीं होगा कि ये नेता किसी व्यक्ति या किसी पार्टी के इशारे पर कांग्रेस छोड़कर गए हैं।
कई दशक कांग्रेस में गुजार चुके गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पार्टी के भीतर कुछ बेचैनी है जो कट्टर कांग्रेसियों को भी असहज कर रही है।
मनीष तिवारी के अलावा राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी अश्विनी कुमार के कांग्रेस छोड़ने को दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
हालांकि अश्विनी कुमार के बारे में यह बात सामने आई है कि वह अपने बेटे के लिए पंजाब की सुजानपुर विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे थे। लेकिन कांग्रेस ने उनके बेटे को उम्मीदवार नहीं बनाया और इसके बाद से ही अश्विनी कुमार पार्टी से नाराज हो गए थे।
करो या मरो का सवाल
यह बात सही है कि पांच राज्यों के चुनाव कांग्रेस के लिए करो या मरो का सवाल हैं। उत्तर प्रदेश को छोड़कर बाकी 3 राज्यों में कांग्रेस बीजेपी के साथ सीधे मुकाबले में है और पंजाब में वह सत्ता में है। 2014 में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से ही लंबे वक्त तक कांग्रेस में रहे कई बड़े नेता पार्टी का साथ छोड़ कर चले गए। यह कहा जाता है कि जब तक कांग्रेस सत्ता में रही तब तक ये नेता पार्टी के साथ रहे लेकिन पार्टी की स्थिति खराब होते ही इन्होंने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते कांग्रेस का साथ छोड़ दिया।
मुश्किल होगी आगे की राह
लेकिन इस सबके बाद भी कांग्रेस को अगर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों की अगुवाई करनी है तो इन पांच राज्यों के साथ ही 2022 में गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव के बाद 2023 में कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में कामयाबी हासिल करनी ही होगी वरना उसकी आगे की राह बहुत मुश्किल हो सकती है।
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