कानपुर देहात के सीसामऊ में बीजेपी नेता का वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वो बीजेपी को वोट देते हुए और वीवीपैट की पर्ची के बारे में पूछते हुए नजर आ रहे हैं। कानपुर के डीएम ने इस नेता के खिलाफ एफआईआर का आदेश दिया है। इस बीच ईवीएम को लेकर शिकायतें और बढ़ गईं हैं।
कानपुर की मेयर प्रमिला पांडे ने आज बीजेपी को वोट देते हुए अपना वीडियो बनवाया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल किया था। इस पर डीएम कानपुर ने उनके खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया था। इसी तरह अब एक और बीजेपी नेता नवाब सिंह का वीडियो भी सामने आया है। इस वीडियो के वायरल होने पर डीएम ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है।
यह हैरानी की बात है कि तीसरे चरण के मतदान के दौरान कानपुर जिले में ऐसी दो घटनाएं हो चुकी हैं लेकिन कार्रवाई सिर्फ डीएम के स्तर पर हुई है। चुनाव आयोग ने इन घटनाओं का अभी तक न तो कोई संज्ञान लिया और न ही पार्टी के रूप में बीजेपी को कोई चेतावनी दी है।
कानपुर में ही महाराजपुर के एलआर चंदेल पोलिंग बूथ पर भी हंगामा हुआ। सपा ने आरोप लगाया कि बीजेपी नेता वोटिंग लिस्ट, पर्चियां छीनकर भाग गए। पार्टी ने बीजेपी नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की लेकिन पुलिस ने उनकी कोई सुनवाई नहीं की।
Another BJP leader Nawab Singh records himself voting for the party candidate in Sisamau and shares it on social media.#FIR ordered by @DMKanpur #UPElection2022 pic.twitter.com/2lxkzRX5Wp
— Simer Chawla (@Simerchawla20) February 20, 2022
इसी तरह कन्नौज में वोट डालते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। रोक के बावजूद मतदाता बूथ में लेकर जा रहे हैं फोन। सदर,छिबरामऊ विधानसभा में वीडियो हुआ वायरल। हालांकि इस घटना के बाद डीएम कन्नौज ने कहा - बिना तलाशी लिए किसी भी मतदाता को बूथ के अंदर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है । फोन के साथ किसी भी मतदाता को बूथ में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है।
छिबरामऊ में ही सपा ने बीजेपी विधायक अर्चना पांडे पर गुंडागर्दी का आरोप लगाया है। आरोप है कि विधायक ने छिबरामऊ के बूथ संख्या 324, 25 पर सपा एजेंट को गाली देकर गांव के प्रधान और बूथ पर सपा एजेंट को गाली देकर भगाया। इस वजह से बूथ पर मतदान बाधित भी हुआ।
कासगंज के पटियाली में बूथ नं. 261 को लेकर एक महिला ने पीठासीन अधिकारी के खिलाफ बीजेपी के पक्ष में वोट डलवाने की कोशिश का आरोप लगाया था। इसका वीडियो भी वायरल हुआ। चुनाव आयोग के निर्देश पर पीठासीन अधिकारी को हटा दिया गया। लेकिन बाद में जिला निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि घटना की पुष्टि नहीं हुई।
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