लक्षद्वीप में बीजेपी अजीब दुविधा में फँसी है। बीजेपी के ही कुछ नेता बदलाव लाना चाहते हैं और कुछ इसका विरोध कर रहे हैं। लेकिन आम लोगों ने जब 'लक्षद्वीप बचाओ' अभियान को तेज़ किया तो अब गृह मंत्री अमित शाह की प्रतिक्रिया आयी है। एक रिपोर्ट के अनुसार अमित शाह ने बीजेपी के ही एक प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया है कि द्वीप के लोगों को विश्वास में लिए बिना कोई भी क़दम नहीं उठाया जाएगा।
गृह मंत्री की ऐसी प्रतिक्रिया उस विवाद पर आई है जो लक्षद्वीप विकास प्राधिकरण विनियमन 2021 के मसौदे के मामले से जुड़ा है। द्वीप के लोग इस मसौदे को ज़मीन को हड़पने वाला बता रहे हैं। इसके अलावा बीफ़ पर बैन लगाने का क़दम उठाया गया है। अपराध बेहद कम होने के बाद भी गुंडा एक्ट लगाने और ऐसे लोग जिनके दो से ज़्यादा बच्चे हैं, उन्हें पंचायत चुनाव में अयोग्य ठहराने जैसे प्रस्तावों के कारण घमासान मचा हुआ है।
ये प्रस्ताव और फ़ैसले लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल पटेल द्वारा लाए गए हैं। लक्षद्वीप बीजेपी के अध्यक्ष अब्दुल खादिर हाजी पटेल ने प्रफुल पटेल का समर्थन किया है तो पार्टी के अन्य नेताओं ने उनके फ़ैसलों की आलोचना की है। यहाँ तक कि केंद्रीय स्तर पर भी कुछ नेता प्रशासक के प्रस्तावों के ख़िलाफ़ हैं। जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तो प्रफुल पटेल वहां गृह मंत्री थे। माना जाता है कि पटेल मोदी के क़रीबी लोगों में शामिल हैं। अमित शाह भी मोदी के सबसे क़रीबी व्यक्ति माने जाते हैं। ऐसे में अमित शाह की प्रतिक्रिया काफ़ी अहम है।
लक्षद्वीप में बीजेपी मामलों के प्रभारी और बीजेपी उपाध्यक्ष एपी अब्दुल्लाकुट्टी ने शाह के साथ बैठक के बाद 'द इंडियन एक्सप्रेस' को बताया, 'गृह मंत्री ने आश्वासन दिया कि प्रस्तावित बदलाव केवल सुझाव हैं और लक्षद्वीप में नागरिकों से उन पर जनता की राय मांगी है। उन्होंने हमें लोगों को यह बताने के लिए कहा है कि डरने की कोई बात नहीं है और लोगों को विश्वास में लिए बिना वहाँ कोई क़दम नहीं उठाया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोगों की सहमति के लिए उनके साथ चर्चा की जाएगी।'
अब्दुल्लाकुट्टी ने शाह और बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा से मिलने वाले लक्षद्वीप में बीजेपी के अध्यक्ष अब्दुल खादर हाजी सहित बीजेपी नेताओं के एक छोटे से प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
सोमवार को अमित शाह से मिले लक्षद्वीप के राकांपा सांसद मोहम्मद फैजल ने कहा है कि उन्हें आश्वासन दिया गया है कि केंद्र जनप्रतिनिधियों, पंचायतों या वहाँ के निवासियों की सहमति के बिना द्वीपों में कोई क़दम नहीं उठाएगा। उन्होंने कहा है कि प्रफुल पटेल को वापस बुलाने की अपनी मांग पर अमित शाह ने कहा कि केंद्र बाद में फ़ैसला करेगा।
पटेल पिछले साल दिसंबर में लक्षद्वीप के प्रशासक बनकर आए थे और कुछ ही महीनों में उनके ख़िलाफ़ लोग सड़कों पर आ गए। अब वहाँ पर 'लक्षद्वीप बचाओ' का अभियान जोर पकड़ रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार बीजेपी के नेता भी मानते हैं कि लोगों के इस अभियान से लक्षद्वीप और केरल में बीजेपी के लिए असहज स्थिति हो रही है।
पटेल का नाम दादरा और नगर हवेली के सांसद मोहन डेलकर के आत्महत्या करने के मामले में भी सामने आया था। डेलकर के बेटे ने पटेल पर उसके पिता का उत्पीड़न करने के आरोप लगाए थे। इन वजहों से भी पटेल हाल के दिनों में चर्चा में रहे हैं।
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