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फाइल फोटो

बिहार जाति सर्वेक्षण में मुस्लिमों, यादवों की आबादी बढ़ाई गई: शाह

प्रधानमंत्री मोदी जाति सर्वेक्षण को समाज और देश को बाँटने वाला क़रार देते रहे हैं तो गृहमंत्री अमित शाह समर्थन में दिखते हैं। गृहमंत्री ने तो इस फ़ैसले के लिए बीजेपी को भी श्रेय देने की कोशिश की। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि राज्य में जाति सर्वेक्षण कराने का निर्णय तब लिया गया था जब नीतीश कुमार का जेडीयू एनडीए का घटक था। 

हालाँकि इसके साथ ही अमित शाह ने यह भी आरोप लगा दिया कि राज्य में जाति सर्वेक्षण में जानबूझकर मुस्लिमों और यादवों की आबादी को तुष्टीकरण की राजनीति के लिए बढ़ा दी गई है। इस आरोप पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अमित शाह को चुनौती दी है कि वे पूरे देश में जाति जनगणना कराएँ। उन्होंने कहा, 'हम इतना कहना चाहते हैं कि यदि ग़लत हुआ है तो देश भर में करा लें। जितने भी बीजेपी शासित राज्य हैं वहाँ करा लें जाति जनगणना।'

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जाति जनगणना पर अमित शाह का यह बयान बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक रैली में आया है। वैसे, गृहमंत्री के उलट प्रधानमंत्री तो जाति जनगणना के विरोध में जान पड़ते हैं। वह जाति जनगणना को जाति के नाम पर बाँटने का आरोप लगाते रहे हैं।

बिहार सरकार द्वारा जाति सर्वेक्षण के आँकड़े जारी करने के कुछ देर बाद ही प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले महीने जाति जनगणना को लेकर विपक्षी दलों को निशाना बनाया था। प्रधानमंत्री जब हमला कर रहे थे तो उन्होंने किसी सर्वेक्षण या किसी पार्टी का नाम नहीं लिया। उन्होंने सत्ता में रहते हुए विकास सुनिश्चित करने में विफल रहने के लिए विपक्ष पर हमला बोला और उन्होंने गरीबों की भावनाओं के साथ खेलने का आरोप लगाया था। 

पीएम ने कहा था, 'उन्होंने तब भी गरीबों की भावनाओं के साथ खेला... और आज भी वे वही खेल खेल रहे हैं। पहले उन्होंने देश को जाति के नाम पर बांटा... और आज वे वही पाप कर रहे हैं। पहले वे भ्रष्टाचार के दोषी थे। और आज वे और भी अधिक भ्रष्ट हैं।' वैसे, मोदी सरकार आधिकारिक तौर पर भी जाति जनगणना के पक्ष में दिखाई नहीं देती रही है। 
2021 में लोकसभा में एक सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि भारत सरकार ने जनगणना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा अन्य जाति आधारित आबादी की जनगणना नहीं करने के लिए नीति के रूप में तय किया है।
दो साल पहले जब बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव जाति जनगणना की मांग कर रहे थे और इसके लिए दबाव बना रहे थे तो भी पीएम के अनिच्छुक होने की रिपोर्ट आई थी। तब बिहार के एक प्रतिनिधिमंडल से मिलने के लिए जब समय मांगा गया था तो पहले प्रधानमंत्री ने कुछ दिनों तक जवाब नहीं दिया था। तब नीतीश कुमार ने कहा था कि उन्हें बिहार में जाति जनगणना कराने से कोई रोक नहीं सकता है। इस बीच पीएम ने उनसे मुलाक़ात के लिए समय दिया था।
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कहा जा रहा है कि जाति जनगणना के मुद्दे पर बीजेपी फँस गई है। अधिकतर दल तो इसके समर्थन में देश भर में जाति सर्वेक्षण की मांग कर रहे हैं। कांग्रेस सहित क़रीब-क़रीब सभी प्रमुख विपक्षी पार्टियाँ जाति सर्वेक्षण की मांग कर रही हैं ताकि कमजोर वर्गों के लिए नीतियाँ बनाई जा सकें।

जब नीतीश कुमार और तेजस्वी बिहार में जाति जनगणना करने के लिए दो साल पहले से प्रयासरत थे तभी से बीजेपी असमंजस में रही है।

वह खुले तौर पर तो कह रही थी और ऐसा दिखा भी रही थी कि वह जाति जनगणना के पक्ष में है, लेकिन जब केंद्रीय नेतृत्व की बात आ रही थी तो मामला पलट जा रहा था। इसी वजह से जेडीयू और आरजेडी आरोप लगा रहे थे कि बीजेपी जाति जनगणना नहीं कराना चाहती है। 

जाति जनगणना कराने के लिए दो साल पहले जब नीतीश कुमार, तेजस्वी और बिहार के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात की थी तब भी बीजेपी के बड़े नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि बीजेपी जाति जनणगना के ख़िलाफ़ कभी नहीं रही है।

तब सुशील मोदी ने कहा था कि 'जाति जनगणना कराने में अनेक तकनीकी और व्यवहारिक कठिनाइयाँ हैं, फिर भी बीजेपी सैद्धांतिक रूप से इसके समर्थन में है।' उन्होंने यह भी कहा था कि प्रधानमंत्री से मिलने वाले प्रतिनिधिमंडल में बीजेपी भी शामिल रही।

सुशील कुमार ने 2021 में एक ट्वीट में कहा था कि वर्ष 2011 में बीजेपी के गोपीनाथ मुंडे ने जाति जनगणना के पक्ष में संसद में पार्टी का पक्ष रखा था। उन्होंने आगे कहा था, 'उस समय केंद्र सरकार के निर्देश पर ग्रामीण विकास और शहरी विकास मंत्रालयों ने जब सामाजिक, आर्थिक, जातीय सर्वेक्षण कराया, तब उसमें करोड़ों त्रुटियां पायी गईं। जातियों की संख्या लाखों में पहुंच गई। भारी गड़बड़ियों के कारण उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। वह सेंसस या जनगणना का हिस्सा नहीं था।'

बीजेपी के असमंजस को इस बात से समझा जा सकता है कि उसके नेता एक तरफ तो इस जाति जनगणना का श्रेय भी लेना चाहते हैं और दूसरी तरफ उसके ही नेता इसे जातिवाद की राजनीति बता रहे हैं।

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भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी चाहते हैं कि मौजूदा उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इसका श्रेय न लें बल्कि भारतीय जनता पार्टी को इसका श्रेय मिले। उन्होंने इसका कारण यह बताया कि जब कैबिनेट से जाति जनगणना कराने का निर्णय पारित हुआ था तब तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री नहीं थे। वे यह भी कहते हैं कि कर्नाटक और तेलंगाना के बाद बिहार तीसरा राज्य है जहां भाजपा के समर्थन से जाति जनगणना शुरू हुई।

इसके उलट भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता विजय कुमार सिन्हा ने इसी साल जनवरी में जाति गणना के लिए श्रेय लेने के बजाय इस पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने बयान दिया था कि पिछले 75 सालों में किसी दल ने जाति गणना क्यों कराई, 1931 के बाद जाति जनगणना क्यों नहीं हुई। उन्होंने लालू प्रसाद का नाम लिए बिना कहा था कि उनके (नीतीश के) बड़े भाई ने जातीय उन्माद पैदा करवाने के लिए यह जाति गणना शुरू कराई है।

जाति जनगणना पर यही असमंजस बीजेपी में अभी भी लगती है। क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के बयान और गृहमंत्री अमित शाह के बयान में भी काफी अंतर लगता है। 

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