तमाम उथल-पुथल के बाद एनसीपी
के भीतर चल रही लड़ाई अब नए दौर में पहुंच गई है। इस लड़ाई के ताजा घटनाक्रम में
एनसीपी ने अजित पवार को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए घोषित की स्टार प्रचारकों
की सूची में शामिल नहीं किया है। इससे पार्टी के भीतर उनके घटते कद के तौर पर देखा
जा रहा है। माना जा रहा है कि यह सब सीनियर पवार के इशारे पर किया जा रहा है,
और अजित पवार को उनकी बगावत महंगी पड़ रही
है।
इससे पहले के घटनाक्रम
में अजित पवार शुक्रवार को मुंबई में हो रही पार्टी की बैठक छोड़कर, पुणे में हो रहे दूसरे कार्यक्रम में शामिल
हुए। इसे उनकी नाराजगी के तौर पर देखा गया। हालांकि अजित के मीटिंग में शामिल न
होने को लेकर अजित पवार और पार्टी प्रवक्ता दोनों ही तरफ से प्रतिक्रिया दी गई।
अजित ने इस पार्टी मीटिंग में शामिल न होने के मसले पर पत्रकारों से कहा कि मेरे
पुणे के कार्यक्रम पहले से तय थे, और एक व्यक्ति दो
जगह शामिल नहीं हो सकता। एनसीपी प्रवक्ता ने इस पर कहा कि अजित भले ही मीटिंग में
शामिल न हो पाए हों लेकिन वे पार्टी छोड़कर कहीं नहीं जा रहे हैं। उनका पुणे का
कार्यक्रम पहले से तय था इसलिए वे मीटिंग में शामिल नहीं हो सके।
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इस सबके बीच अजित पवार ने
पुणे के कार्यक्रम में शामिल होते हुए कहा, ‘एनसीपी की तरफ से कभी सीएम पद को लेकर दावा नहीं किया गया।
यह तब भी था जब हमारे पास दूसरे दलों से भी ज्यादा सीटें थीं। एनसीपी जब चाहे,
इस पद के लिए दावा कर सकती है’।
अजित पवार का यह बयान ऐसे
समय में आया है, जबकि अटकलें लगाई
जा रही हैं कि पार्टी की तरफ़ से अब उन्हें बहुत ज्यादा महत्व नहीं दिया जाएगा।
अगर उन्हें पार्टी छोड़कर कहीं और जाना है तो चले जाएं। राज्य की राजनीति के
जानकार कहते हैं कि जूनियर पवार दबाव में हैं और पार्टी के प्रति अपनी वफादारी
साबित करने का प्रयास कर रहे हैं।
अजित पवार के ऊपर दबाव का
कारण यह है कि शिवसेना की सरकार छोड़ने की धमकी के बाद बीजेपी ने अपने हाथ पीछे
खींच लिए हैं। और बीजेपी का कहना है कि अजित पवार पार्टी में शामिल हों, कुछ विधायकों को लेकर समर्थन देने भर से काम
नहीं चलेगा। जबकि पवार बीजेपी में शामिल नहीं होना चाहते। बीजेपी की तरफ से रास्ता
होने के बाद एनसीपी में रहने के अलावा उनके पास और कोई चारा नहीं बचा है।
अजित अगर पार्टी छोड़कर
जाते हैं और बीजेपी उन्हें शामिल नहीं करती है, तब उन्हें विपक्ष के नेता तौर पर मिली सारी सुविधाएँ भी छिन
जाएंगी जो जूनियर पवार के लिए एक बड़ा झटका होगा।
शरद पवार द्वारा तय की गई
व्यवस्था के अनुसार महाराष्ट्र राज्य की राजनीति भतीजे अजीत पवार संभालेंगे और
दिल्ली की राजनीति उनकी बेटी सुप्रिया सुले संभालेंगी। यह व्यवस्था काफी लंबे समय
से चली आ रही थी। लेकिन अब सुप्रिया सुले और अजित पवार दोनों ही पार्टी पर पूरा
कब्जा चाहते हैं। इसलिए अजित पवार यह दांव-पेंच चल रहे हैं।
इस मसले पर बीते दिनों
दिये सुप्रिया सुले के बयान का भी जिक्र किया जा रहा है। अपने बयान में सुप्रिया
ने कहा था कि अगले पंद्रह दिनों में राज्य (महाराष्ट्र) और दिल्ली में दो बड़े
राजनीतिक धमाके होंगे। इन धमाकों से उनका आशय पार्टी में उनकी ताजपोशी से लिया जा
रहा है।
हालांकि सीनियर शरद पवार
ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। पार्टी के भीतर हो रहे पूरे घटनाक्रम में उनका रुख
सबसे महत्वपूर्ण होगा। सूत्रों के अनुसार एनसीपी में मची इस उठापटक का कारण सत्ता
का हस्तांतरण भी माना जा रहा है। शरद पवार काफी समय से बीमार चल रहे हैं और पार्टी
का उत्तराधिकारी खोज रहे हैं।
राजनीति से और खबरें
एनसीपी के भीतर चल रही इस
लड़ाई की शुरुआत हुई पिछले हफ्ते जब शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रवक्ता संजय राउत ने
दावा किया कि अजित पवार पार्टी के विधायकों को तोड़कर बीजेपी सरकार में शामिल होने
का प्रयास कर रहे हैं। मीडिया को दिये बयान के बाद राउत ने इस बात को पार्टी के
मुखपत्र सामना ने भी इस बात को लिखा। राउत के दावे की पुष्टि, शरद पवार के उस बयान ने भी कर दी जब उन्होंने
कहा कि एनसीपी बीजेपी के साथ नहीं जाएगी, लेकिन कुछ विधायकों पर दबाव बनाया जा रहा है, वे शायद पार्टी छोड़कर जा सकते हैं।
शरद पवार के इस बयान के बाद अजित पवार ने मीडिया के सामने आकर कहा कि वे एनसीपी छोड़कर कहीं नहीं जा रहे हैं।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने
इस संबंध में एक खबर छापी थी कि अजित पवार एनसीपी को तोड़कर बीजेपी सरकार में
शामिल होने का प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने पार्टी के 40 विधायकों का समर्थन पत्र भी हासिल कर लिया है।
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