बिहार विधानसभा चुनाव में हैदराबाद के सांसद असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम को 5 सीटें मिलने की ख़बर ने देश की राजनीति में जोरदार बहस छेड़ दी है। बहस इस बात की कि क्या ओवैसी बीजेपी के एजेंट हैं। कांग्रेस चिल्ला-चिल्लाकर कह रही है कि ओवैसी की वजह से सीमांचल के इलाक़े में उसके और आरजेडी के वोटों में सेंध लगी और महागठबंधन को खासा नुक़सान हुआ और इस वजह से एनडीए को सत्ता मिली।
बिहार: ओवैसी से परेशान क्यों हैं बीजेपी विरोधी दल?
- राजनीति
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- 5 Mar, 2021

राजनीति के जानकारों का कहना है कि ओवैसी की बातों का बीजेपी और दक्षिणपंथी संगठन हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने के लिए इस्तेमाल करते हैं और इसमें उन्हें सफलता भी मिलती है। उनका कहना है कि इससे सेक्युलर वोटों का बंटवारा हो जाता है और बीजेपी को फायदा मिलता है।
एआईएमआईएम सीमांचल के इलाक़े में 14 सीटों पर चुनाव लड़ी और उसे 5 सीटों पर जीत मिली है। ओवैसी ने भी चुनाव के दौरान पूरा जोर लगाया और सीमांचल में उन्होंने 65 रैलियां की। हालांकि इस जीत में उन्हें बिहार में कुशवाहा, मायावती और अन्य नेताओं के साथ बने गठबंधन का भी सहयोग मिला है। यह बात भी सही है कि सीमांचल में महागठबंधन बुरी तरह पिछड़ गया।