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पटना बैठक से पहले विपक्षी एकता को कमजोर कर रहे केजरीवाल?

दिल्ली में केंद्र सरकार के अध्यादेश के ख़िलाफ़ कांग्रेस का साथ नहीं देने पर क्या अरविंद केजरीवाल विपक्षी एकता में साथ नहीं आएँगे? एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कुछ ऐसा ही कहा गया है। रिपोर्ट के अनुसार आम आदमी पार्टी ने धमकी दी है कि अगर कांग्रेस अध्यादेश के खिलाफ उसके अभियान का समर्थन नहीं करती है, तो वह कल की प्रमुख विपक्षी बैठक में शामिल नहीं होगी।

अरविंद केजरीवाल इसको लेकर पिछले कई दिनों से दबाव बना रहे हैं। एक दिन पहले ही केजरीवाल ने सभी विपक्षी दलों के नेताओं को पत्र लिखकर कहा था कि 23 जून को पटना बैठक में सबसे पहले दिल्ली अध्यादेश पर बात हो। उन्होंने अपने पत्र में विपक्ष से सामूहिक रूप से संसद में अध्यादेश को हराने का प्रयास करने का आग्रह किया था। केजरीवाल का कहना है कि दिल्ली अध्यादेश केंद्र सरकार का एक प्रयोग है, अगर इस पर वो जीत गई तो फिर इसे अन्य गैर बीजेपी राज्यों में भी पेश करके उन्हें परेशान किया जाएगा।

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उन्होंने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी विपक्षी दलों से कहा था कि वे लोग पहले कांग्रेस से पूछें कि दिल्ली अध्यादेश पर उसकी क्या राय है। 

बीजेपी के ख़िलाफ़ विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं और शुक्रवार को पटना में एक अहम बैठक होने वाली है। एक तरफ़ तो पटना में कई विपक्षी नेता पहुँच भी गए हैं और कई और नेताओं के कल पहुँचने की उम्मीद है, वहीं दूसरी ओर केजरीवाल ने अब नया राग छेड़ दिया है। केजरीवाल के इस कदम से भारत के बिखरे हुए विपक्ष के एक साथ आने और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए रणनीति बनाने के प्रयासों को झटका लग सकता है। 

विपक्षी दलों की बैठक को लेकर अरविंद केजरीवाल के इस बयान पर दिल्ली में कांग्रेस के नेता संदीप दीक्षित ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने एक वीडियो बयान में कहा है कि कल होने वाली विपक्षी दलों की एकता बैठक में अरविंद केजरीवाल की कोई कमी नहीं खलेगी। उन्होंने कहा, 'आप जाएँ या नहीं जाएँ, कोई फर्क नहीं पड़ता है। हम तो पहले ही जानते थे कि विपक्षी एकता को तोड़ने के लिए और बैठक में न जाने के लिए आप तो केवल बहाने ढूंढ रहे हैं। क्योंकि ऊपर से आ गया होगा आदेश कि नहीं जाना है...।'

केजरीवाल इस बात पर जोर देते रहे हैं कि बैठक में चर्चा की जाने वाली पहली बात केंद्र के दिल्ली अध्यादेश से संबंधित विधेयक के इर्द-गिर्द होनी चाहिए। एनडीटीवी ने आप सूत्रों के हवाले से कहा है, 'कांग्रेस को दिल्ली अध्यादेश के मुद्दे पर हमारा समर्थन करना चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करती है तो हम विपक्ष की बैठक का बहिष्कार करेंगे और भविष्य में विपक्षी बैठकों से दूर रहेंगे।'
पिछले महीने केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पेश किया गया अध्यादेश दिल्ली के नौकरशाहों पर नियंत्रण स्थापित करने का प्रयास करता है।

केंद्र सरकार यह अध्यादेश लेकर इसलिए आई थी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला दिया था कि क्योंकि चुनी हुई सरकार है इसलिए ट्रांसफर-पोस्टिंग जैसे अधिकार दिल्ली सरकार के पास होने चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद केंद्र के अध्यादेश लाने के कदम की आप ने आलोचना करते हुए तर्क दिया है कि यह दिल्ली में पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर सेवाओं का नियंत्रण निर्वाचित सरकार को देने के सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले को कमजोर करता है।

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बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विपक्षी एकता के लिए पिछले कुछ महीनों से लगातार विपक्षी नेताओं से मुलाक़ात कर रहे हैं। उन्होंने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी मुलाक़ात की थी। आप ने पहले विपक्षी एकता के लिए हामी भरी थी, लेकिन अब कांग्रेस के रुख को देखते हुए धमकी दी है। 

अरविंद केजरीवाल भी अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने और इसे संसद के माध्यम से कानून बनने से रोकने के प्रयास में गैर-भाजपा दलों के नेताओं तक पहुंच रहे हैं। केजरीवाल के इस अभियान में सबसे बड़ी बाधा कांग्रेस रही है जिसे भाजपा विरोधी कई क्षेत्रीय दलों का समर्थन मिला है।

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क़मर वहीद नक़वी
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