कोई भी बंदा भविष्यवाणी करने का जोख़िम उठाने के लिये तैयार नहीं है कि जो भयानक दौर अभी चल रहा है उसका कब और कैसे अंत होगा? और यह भी कि अंत होने के बाद पैदा होने वाले उस संकट से दुनिया कैसे निपटेगी जो और भी ज़्यादा मानवीय कष्टों से भरा हो सकता है? स्वीकार करना होगा कि पश्चिमी देशों में जिन मुद्दों को लेकर बहस तेज़ी से चल रही है उन्हें हम छूने से भी क़तरा रहे हैं। पता नहीं, हम कब तक ऐसा कर पाएँगे क्योंकि उनके मुक़ाबले हमारे यहाँ तो हालात और ज़्यादा मुश्किलों से भरे हैं।
कोरोना: हालात बेहद ख़राब, अर्थव्यवस्था को बचाएं या लोगों को?
- विचार
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- 1 Apr, 2020

कोरोना संकट ने दुनिया को बेहद मुश्किल दौर में लाकर खड़ा कर दिया है। बहस इस बात को लेकर हो रही है कि हम अपनी अर्थव्यवस्था को बचाएं या लोगों को?
पश्चिम में बहस इस बात को लेकर चल रही है कि प्राथमिकता किसे दी जाये। तेज़ी से बर्बाद होती अर्थव्यवस्था को बचाने को या फिर संसाधनों के अभाव के साथ लोगों को बचाने को? अमेरिका में जो लोग उद्योग-व्यापार के शिखरों पर हैं, वे आरोप लगा रहे हैं कि सरकार अर्थव्यवस्था को जो नुक़सान पहुँचा रही है, उसकी भरपाई नहीं हो सकेगी।