बिहार चुनाव में बदलाव की बयार के बरक्स चुनाव नतीजे आश्चर्यजनक रहे हैं। महागठबंधन की 110 सीटों के मुक़ाबले एनडीए ने 125 सीटों पर जीत दर्ज की है। एनडीए की जीत पर तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की भूमिका को कटघरे में खड़ा किया है। तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया है कि नजदीकी अंतर वाली बीस सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशियों को प्रशासन की मिलीभगत से हराया गया है। चुनाव आयोग से उन्होंने इन सीटों पर फिर से मतगणना कराने की माँग की है। हालाँकि, आज के हालातों में ऐसा नहीं लगता कि चुनाव आयोग तेजस्वी यादव की माँग को स्वीकार करेगा। लेकिन यह निश्चित है कि इस चुनाव का भारतीय राजनीति पर दीर्घकालीन असर होगा। इसलिए इस चुनाव के मायने समझने होंगे।

बिहार में सांप्रदायिकता के बरक्स रोज़गार और विकास का काउंटर नैरेटिव खड़ा किया गया। तेजस्वी ने बीजेपी और नीतीश को अपने एजेंडे पर आने के लिए मजबूर किया। चुनाव के नतीजे कुछ भी रहे हों क्या आगे की राजनीति बदलेगी?
लेखक सामाजिक-राजनीतिक विश्लेषक हैं और लखनऊ विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में असि. प्रोफ़ेसर हैं।