हाल के वर्षों में बलात्कार को लेकर नई धारणा बनकर उभरी है कि तमाम मामलों को जातीय व धार्मिक नज़रिए से देखा जाने लगा है। पुलिस की कार्रवाई भी तमाम मामलों में ऐसी होती है कि जनता इस नज़रिए से देखने को मजबूर हो रही है। उत्तर प्रदेश के हाथरस ज़िले में सामूहिक बलात्कार की शिकार लड़की की सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई। लड़की के परिजनों के मुताबिक़ उसकी की जीभ काट दी गई, उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई। वहीं पुलिस ने मृतका के साथ हुई हैवानियत और बलात्कार को नकार दिया है। इसे लेकर चर्चा है।
बलात्कार जैसी जघन्य घटनाओं को जातीय नज़रिये से क्यों देखा जा रहा है?
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- 29 Mar, 2025

हाथरस मामले से पहले से ही हाल के वर्षों में बलात्कार को लेकर नई धारणा बनकर उभरी है कि तमाम मामलों को जातीय व धार्मिक नज़रिए से देखा जाने लगा है। आख़िर क्यों?
बलात्कार और हत्या जैसी वीभत्स घटनाओं में हाल के वर्षों में चर्चा के केंद्र में जाति और धर्म प्रमुखता से आ रहे हैं। हाथरस मामले में भी यही हुआ। सूचना के मुताबिक़ पहले इस मामले में प्राथमिकी तक दर्ज नहीं हुई। जब बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने ट्वीट किया और भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर पीड़िता से मिलने पहुँचे तो मामला दलित बनाम सवर्ण बन गया। इतना ही नहीं, इस मामले में आरोपियों के बचाव में राष्ट्रीय सवर्ण परिषद भी सामने आ गई।