मोदी सरकार ने अहमदाबाद स्थित वल्लभभाई पटेल स्टेडियम का नाम बदलकर नरेंद्र मोदी स्टेडियम कर दिया है। हालाँकि कई मंत्रियों से सफ़ाई दिलवाई गई है कि नाम बदला नहीं गया है और स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का नाम अभी भी सरदार पटेल के नाम पर ही है, मगर सचाई यही है कि स्टेडियम पहले पटेल के नाम से जाना जाता था और अब उसे मोदी के नाम से जाना जाएगा।
स्टेडियम का नाम बदलना आत्ममुग्धता की पराकाष्ठा?
- विचार
- |
- |
- 29 Mar, 2025

जिन प्रधानमंत्रियों और नेताओं की दृष्टि लोकतांत्रिक रही है, जिनका ह्रदय विराट रहा है, उन्होंने इस तरह की भौंडी कोशिशें नहीं कीं, बल्कि इनसे सख़्त परहेज ही किया है। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक किसी ने भी इस तरह की हरकत नहीं की। इनमें चंद्रशेखर, देवेगौड़ा, गुजराल और अटल बिहारी वाजपेयी भी शामिल हैं।
सरकार के इस क़दम से बहुत सारे लोगों को हैरत हुई है तो कई ने सवाल भी खड़े किए हैं। हैरानी की मुख्य रूप से दो वज़हें हैं। अव्वल तो यह कि जब कोई नेता किसी पद पर आसीन रहता है तो वह अमूमन ऐसा नहीं करता, क्योंकि इसे नैतिक और राजनैतिक, दोनों लिहाज़ से अच्छा नहीं समझा जाता है। आप ख़ुद अपने नाम के संस्थान खड़े करें या पहले से मौजूद संस्थानों के नाम बदलकर अपने नाम पर कर दें, इसे अच्छी नज़रों से नहीं देखा जाता है।