अमेरिका के मशहूर मानवाधिकारवादी अश्वेत नेता डॉ.मार्टिन लूथर किंग जूनियर जब 10 फरवरी 1959 को दिल्ली के पालम हवाई अड्डे पर उतरे तो उन्हें अजब अनुभूति हुई। होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस शुरू होने के पहले उन्होंने एक वक़्तव्य दिया। उन्होंने कहा- “मैं कब से भारत आने का इंतज़ार कर रहा था। मैं कई देशों में गया। ये सब मेरे लिए पर्यटन यात्राएँ थीं। लेकिन भारत की यात्रा मेरे लिए पर्यटन यात्रा नहीं बल्कि एक तीर्थयात्रा है। जो आपके लिए भारत है, उसे मैं गाँधी और नेहरू के नाम से जानता हूँ।”