आज से क़रीब 50 साल पहले देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा दिया था और इसके बाद देश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया था। इस नारे को लेकर बहुत से आरोप-प्रत्यारोप लगते रहे और पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में जब कांग्रेस पार्टी ने ग़रीबी का मुद्दा फिर से उठाने की कोशिश की तो सत्ताधारी दल के नेताओं ने सवाल उठाया कि पचास साल में ग़रीबी क्यों नहीं हट सकी? लेकिन आज फिर से एक बार ग़रीबी को लेकर सवाल खड़ा हुआ है! इस बार यह सवाल सरकार द्वारा ग़रीबी हटाने के किसी नारे को लेकर नहीं बल्कि ग़रीबी को छुपाने के तरीक़ों को लेकर है।