संविधान सभा में 26 नवंबर 1946 को अपना अंतिम भाषण देते हुए डॉ.आंबेडकर ने कहा, “संविधान चाहे जितना अच्छा हो, वह बुरा साबित हो सकता है, यदि उसका अनुसरण करने वाले लोग बुरे हों। एक संविधान चाहे जितना बुरा हो, वह अच्छा साबित हो सकता है, यदि उसका पालन करने वाले लोग अच्छे हों। संविधान की प्रभावशीलता पूरी तरह उसकी प्रकृति पर निर्भर नहीं है। संविधान केवल राज्य के अंगों – जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका– का प्रावधान कर सकता है। राज्य के इन अंगों का प्रचालन जिन तत्वों पर निर्भर है, वे हैं जनता और उनकी आकांक्षाओं तथा राजनीति को संतुष्ट करने के उपकरण के रूप में उनके द्वारा गठित राजनीतिक दल।”
ये राहुल गाँधी को नहीं, संसदीय लोकतंत्र को नोटिस है!
- विचार
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- 29 Mar, 2025
क्या भारत में संसदीय लोकतंत्र को खतरा पैदा हो चुका है। आखिर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को नोटिस देना और बीजेपी का उस पर एक्शन के लिए अड़ना क्या बताता है। पीएम मोदी के गरिमाविहीन भाषण पर देश चुप है लेकिन मोदी-अडानी रिश्तों पर बोलने वाले राहुल गांधी को कोई आजादी नहीं है। पत्रकार पंकज श्रीवास्तव के इस लेख को पढ़िएः
