मैंने हाल ही में भारतीय सुप्रीम कोर्ट के एक वरिष्ठ सिटिंग जज से टेलीफोन पर बात की और उनसे कहा कि भारतीय नागरिकों के विशाल बहुमत की धारणा यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के अपने उस कर्तव्य को बड़े पैमाने पर त्याग दिया है जिसके लिए न्यायाधीशों ने शपथ ली थी।