चीन की सेना ने हाल ही में भारतीय क्षेत्र लद्दाख के गालवान में 3-4 किलोमीटर तक प्रवेश किया है। भारत में कई लोग ऐसा सोचते हैं कि यह घटना दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर किसी छोटी ग़लतफहमी के कारण हुई, लेकिन ऐसा नहीं है। यह घटना चीनी लोगों के एक बहुत बड़े साम्राज्यवादी डिज़ाइन (imperialist design) का हिस्सा है, जिसे मैं इस लेख द्वारा समझाना चाहता हूँ।
हिटलर का नया रूप है चीन, भारत रहे सावधान
- विचार
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- 3 Jun, 2020

मैं भारत सरकार और अन्य लोगों से अपील करता हूँ कि मैंने जो भी कहा है उस पर गंभीरता से विचार करें और चीनी साम्राज्यवाद का विरोध करना शुरू करें। इस ख़तरे को नज़रअंदाज़ करना एक शुतुरमुर्ग के बर्ताव के जैसा होगा, जैसे कि नेविल चेम्बरलेन जो सोचते रहे कि हिटलर से कोई ख़तरा नहीं है पर जब उन्हें यह एहसास हुआ तब तक काफ़ी देर हो चुकी थी।
1930 और 1940 के दशक में नाज़ी जर्मन-साम्राज्यवाद दुनिया के लिए वास्तविक ख़तरा था, न कि ब्रिटिश या फ्रांसीसी साम्राज्यवाद। ऐसा इसलिए था क्योंकि जर्मन साम्राज्यवाद बढ़ रहा था और विस्तार कर रहा था, और इसलिए यह आक्रामक साम्राज्यवाद था, जबकि ब्रिटिश और फ्रांसीसी साम्राज्यवाद केवल रक्षात्मक थे। जहाँ ब्रिटिश और फ्रांसीसी केवल अपने उपनिवेशों (colonies) पर क़ब्ज़ा बनाये रखना चाहते थे, वहाँ नाज़ियों ने भूखा भेड़िया की तरह अन्य देशों को जीतना और ग़ुलाम बनाना चाहा। इसलिए नाज़ी दुनिया के लिए वास्तविक ख़तरा थे। इसी तरह, आज दुनिया के लिए ख़तरा अमेरिका नहीं बल्कि चीन है, क्योंकि चीन दुनिया में आक्रामक (aggressive) विस्तार की राह पर चल रहा है। चीन अपने विशाल उद्योग के साथ अपने सामानों के लिए बाज़ार में माँग बढ़ा रहा है, और अपने विशाल 3.2 ट्रिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा रिज़र्व (foreign exchange reserve) के साथ लाभदायक निवेश (profitable investment) के नए रास्तों की तलाश कर रहा है। चीनी आज आक्रामक साम्राज्यवादी हैं और दुनिया के लिए सबसे बड़ा ख़तरा हैं। यह सच है कि नाज़ी जर्मनी की तरह चीन वर्तमान में सैन्य रूप से विस्तार नहीं कर रहा है, लेकिन भूखा भेड़िया की तरह वह दुनिया के कई देशों की अर्थव्यवस्था को भेद कर, उसे घटाकर आक्रामक रूप से आर्थिक विस्तार कर रहा है।