रामनवमी के दिन दस राज्यों में दंगे हुए। ये दृश्य अच्छे नहीं हैं। इससे पहले रामनवमी की शोभायात्रा के दौरान सिर्फ़ धर्म-संस्कृति का ही प्रदर्शन किया जाता था। अब ऐसी शोभायात्राओं में तलवारें नचाई जाती हैं। धार्मिक विद्वेष फैलाया जाता है।

संजय राउत ने शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में लेख में क्यों लिखा कि अयोध्या में राम मंदिर की लड़ाई से जो भाग निकले वो अब राम के नाम पर तलवारें निकाल रहे हैं? राउत ने किस पर आरोप लगाया कि चुनाव जीतने के लिए नफ़रत की राजनीति की जा रही है?
सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा है कि 15 वर्षों में अखंड हिंदू राष्ट्र बनेगा। क्या यह इसकी शुरुआत है?
महाराष्ट्र में जहां मसजिदों पर भोंगे (लाउडस्पीक) को लेकर तो वहीं देश के अन्य हिस्सों में रामनवमी के दंगों की राजनीति शुरू हो गई है। धर्मांधता की आग को हवा देकर और शांति को खाक करके यदि कोई चुनाव जीतना चाहता होगा, तो वे अपने हाथों से देश के दूसरे विभाजन के बीज बोते दिख रहे हैं। ‘देश के टुकड़े-टुकड़े हो जाएं तो भी चलेगा, लेकिन धार्मिक विद्वेष फैलाकर चुनाव जीतने हैं’ ऐसी नीति बीजेपी जैसी पार्टी ने खुलेआम अपनाई है।