जम्मू कश्मीर पर सरकार की नीति बदल रही है क्या? क्या मोदी सरकार ‘देशद्रोही’ हुर्रियत कॉन्फ़्रेंस के नेताओं से बात करेगी? क्या सरकार ने हुर्रियत के नेताओं को देशद्रोही मानना बंद कर दिया या वह उन्हें देशभक्त मानने लगी है? क्या सरकार का ह्रदय परिवर्तन हो गया है? ये कुछ सवाल हैं जिनके जवाब खोजना शायद अब ज़रूरी हो गया है। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की बोली इधर बदली है। वह शांति और बातचीत की बात करने लगे हैं। हुर्रियत ने भी कहा है कि बातचीत से ही सकारात्मक नतीजे निकल सकते हैं। तो क्या मामला वाक़ई गंभीर है?

कश्मीर की समस्या पुरानी समस्या है। इसकी वजह से देश पर आतंकवाद का साया हमेशा बना रहता है। ऐसे में यह समस्या जितनी जल्दी सुलझे उतना ही अच्छा होगा। पर बड़ा सवाल है कि क्या केंद्र सरकार अपना रवैया बदल कर बिना किसी पूर्वाग्रह के बातचीत की पहल करेगी?
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।